Thursday 17 March 2011

जीवन

जीवन मे कभी कभी अप्रत्याशित घट जाता है या यू कहें,जीवन अप्रत्याशित पल के मनके की माला है
ऎसा ही एक पल मेरे जीवन में भी आया ,जब मुझे आप सभी महानुभावों के सहयोग शुभकामनाओं व दिशानिद्रेशों को पाने का सुअवसर मिला.
चूंकि मेरा इस आधुनिक तकनीक से परिचय बहुत ही अल्प है अतः आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि मुझे कुछ समय दें ताकि मै भी आप सभी के विचारों को पढ़ पाऊ और प्रेरित हो सकूं


                                                        मन के - मनके

6 comments:

  1. आपका साहित्य तकनीक पर विजय अवश्य प्राप्त करेगा।

    ReplyDelete
  2. उनको रंग लगाएँ, जो भी खुश होकर लगवाएँ,
    बूढ़ों और असहायों को हम, बिल्कुल नहीं सताएँ,
    करें मर्यादित हँसी-ठिठोली।
    आओ हम खेलें हिल-मिल होली।।
    --
    होलिकोत्सव की सुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  3. आपको वक्त दिया :)

    बुरा ना मानो होली है

    पाठकों पर अत्याचार ना करें ब्लोगर

    ReplyDelete
  4. तकनीकी से मनुष्य आगे है पीछे नही ... आशा है जल्दी ही आप कामयाब होंगी ...

    ReplyDelete
  5. हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.

    ReplyDelete