Friday, 11 March 2011

तकनीति मसलौं को शीघ्र हि हल करके हज़िर होति हूँ

बेकीमत के - मन के मन्के मेरे
कीमत दी आप के उदगारोँ ने
पत्थर के तुकदे थे - झोलि मे मेरे
परख दी - आप के भावोँ ने
आप सभि के उदगारोँ के प्रत्यिउत्तर मेँ अपनी भवनाऔँ की उक्त चार पन्क्तियोँ मे बाँधने की छोटि सी कोशिश हे।

2 comments:

  1. सुन्दर भावोद्गार..

    ReplyDelete
  2. आप शीघ्र ही तकनीक पर विजय प्राप्त करेंगी।

    ReplyDelete