ताओ उपलब्ध व्यक्ति----
१.बिना किसी अवरोध के काम
करता है.
२.अपने कृत्यों से-किसी को
हानि नहीं पंहुचाता है.
३.अपने को-विनम्र और दयावान
होना स्वीकार नहीं करता है.
४.अपने प्रकृति-प्रदत्त
स्वभाव में जीता है.
५.केवल सारभूत कार्य ही करता
है.
६.उसकी सक्रियता निष्क्रिया
जैसी है.
७.अंतर-जगत का अति धनी
व्यक्ति होता है.
८.वह नहीं जानता,वह
प्रेमपूर्ण है क्योंकि,प्रेम करने वाला व जानने वाला दो नहीं हो सकते हैं.
९.ताओ को उपलब्ध व्यक्ति—’कोई’
नहीं होता है.
१०.सभी पदचिन्ह तुम्हारा अतीत
साथ लिए आगे बढ रहें हैं.
’एम्पटी बोट----’ मेरी एक पोस्ट
पर,मुझे पाठकों की ओर से उत्साहवर्धक प्रितक्रियाएं मिली.
अच्छा लगा.
वैसे तो, ’ओशो’ को वांचने वाले व आत्मसात करने वाले,
सुबुद्ध पाठकगण उनके विचारों-वचनों को
अपने-अपने तरीके से लोगों तक पहुंचा ही रहे होंगे जो अभी तक
इस अमृत-वाणी का पान नहीं कर पाएं हैं.कारण कुछ भी हो सकते हैं.
’ओशो’ से मेरा भी परिचय नगण्य है,परंतु मैं अपने आप को
भाग्यशाली मानती हूं कि इस युग के ऐसे प्रबुद्ध व क्रांतकारी विचारक जो सदियों बाद,
इस धरा पर अवतरित होते हैं,के विचारों की महागंगा के तट पर खडी हो पाई हूं जिसके
अमृत की एक बूंद भी मेरे होंठो तक नहीं आ पाई है.
बस,तट पर खडी,उसकी विशालता व गहनता को अनुभव करने का प्रयास
भर कर पा रहीं हूं.
इसी श्रंखला में, उनकी अनेक कृतियों में से, कुछ वचनों को,
अपनी सामर्थ्यनुसार एक और कोशिश---