जीवन तो एक शिला का तुकडा है-हमें ही मूर्तिकार बनना होगा,अपने पुरुषार्थ रूपी हथोडी व सपने रूपी छेनी से इसमें मूर्ति ढालनी होगी,तभी पत्थर के तुकडे की कीमत आंकी जा सकेगी.
क्राइस्ट,बुद्ध,महावीर आदि ऐसे ही मूर्तिकार थे जिन्होने अपने जीवन को स्वम आकार दिया और उसे मूल्यवान बनाया अन्यथा मानव इतिहास में ये मूर्तियां कहां देखन्पे कोप मिलतीं.
क्या कोई पत्थर के तुकडे की कीमत लगायेगा,हां यदि मूर्तिकार उसी तुकडे में कोई मूर्ति बना दे,तो जरूर कुछ लोग उसे खरीदने आजाएगें,और यदि मूर्तिकार उस पत्थर के तुकडे में कोई महावीर,बुद्ध,कोई क्राइस्फ्ट की मूर्ति बना दे तो सदियों तक उस मूर्ति के ग्राहक बांट जोहते रहेंगे,उसे खरीदने के लिये,किसी भी कीमत पर.
क्राइस्ट,बुद्ध,महावीर आदि ऐसे ही मूर्तिकार थे जिन्होने अपने जीवन को स्वम आकार दिया और उसे मूल्यवान बनाया अन्यथा मानव इतिहास में ये मूर्तियां कहां देखन्पे कोप मिलतीं.
क्या कोई पत्थर के तुकडे की कीमत लगायेगा,हां यदि मूर्तिकार उसी तुकडे में कोई मूर्ति बना दे,तो जरूर कुछ लोग उसे खरीदने आजाएगें,और यदि मूर्तिकार उस पत्थर के तुकडे में कोई महावीर,बुद्ध,कोई क्राइस्फ्ट की मूर्ति बना दे तो सदियों तक उस मूर्ति के ग्राहक बांट जोहते रहेंगे,उसे खरीदने के लिये,किसी भी कीमत पर.
ओशो सही कहते हैं!
ReplyDeleteबेहद सार्थक विचार...वैल्यू एडिशन के बाद ही चीज़ का मोल बढ़ता है...
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (23-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
हर पल जीवन में कुछ जोड़ते जाना है।
ReplyDeleteजीवन तो एक शिला का तुकडा है-हमें ही मूर्तिकार बनना होगा,अपने पुरुषार्थ रूपी हथोडी व सपने रूपी छेनी से इसमें मूर्ति ढालनी होगी,तभी पत्थर के तुकडे की कीमत आंकी जा सकेगी.
ReplyDeletesarthak lekhan ..abhar .
osho ne kaha hai to badhiya hi hoga
ReplyDeleteबेहद सार्थक विचार...धन्यवाद
ReplyDeleteसार्थक चिंतन ।
ReplyDeleteउत्तम संदेश!!!
ReplyDeleteशायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
ReplyDeleteसूचनार्थ