Saturday, 21 May 2011

ओशो कहते हैं---जीवन का मूल्य उतना ही है,जितना मूल्यवान तुम उसे बना सको

जीवन तो एक शिला का तुकडा है-हमें ही मूर्तिकार बनना होगा,अपने पुरुषार्थ रूपी हथोडी व सपने रूपी छेनी से इसमें मूर्ति ढालनी होगी,तभी पत्थर के तुकडे की कीमत आंकी जा सकेगी.
क्राइस्ट,बुद्ध,महावीर आदि ऐसे ही मूर्तिकार थे जिन्होने अपने जीवन को स्वम आकार दिया और उसे मूल्यवान बनाया अन्यथा मानव इतिहास में ये मूर्तियां कहां देखन्पे कोप मिलतीं.
क्या कोई पत्थर के तुकडे की कीमत लगायेगा,हां यदि मूर्तिकार उसी तुकडे में कोई मूर्ति बना दे,तो जरूर कुछ लोग उसे खरीदने आजाएगें,और यदि मूर्तिकार उस पत्थर के तुकडे में कोई महावीर,बुद्ध,कोई क्राइस्फ्ट की मूर्ति बना दे तो सदियों तक उस मूर्ति के ग्राहक बांट जोहते रहेंगे,उसे खरीदने के लिये,किसी भी कीमत पर.

10 comments:

  1. बेहद सार्थक विचार...वैल्यू एडिशन के बाद ही चीज़ का मोल बढ़ता है...

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (23-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. हर पल जीवन में कुछ जोड़ते जाना है।

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  4. जीवन तो एक शिला का तुकडा है-हमें ही मूर्तिकार बनना होगा,अपने पुरुषार्थ रूपी हथोडी व सपने रूपी छेनी से इसमें मूर्ति ढालनी होगी,तभी पत्थर के तुकडे की कीमत आंकी जा सकेगी.
    sarthak lekhan ..abhar .

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  5. बेहद सार्थक विचार...धन्यवाद

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  6. सार्थक चिंतन ।

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  7. उत्तम संदेश!!!

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  8. शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
    सूचनार्थ

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