Saturday 20 August 2011

यादें...: वो जो नक्श थे तेरी याद के ,मुझे ख्वाब कैसे दिखा गये

यादें...: वो जो नक्श थे तेरी याद के ,मुझे ख्वाब कैसे दिखा गये

1 comment:

  1. 'वो जो नक्श थे तेरी याद के ,मुझे ख्वाब कैसे दिखा गये
    ...... कभी वक्त राह में रुक गया ,कभी फूल लौट के आ गये.
    वो जो गीत तुमने सुना नही ,मेरी उम्र भर का रियाज़ था ,
    मेरे दर्द की थी वो दास्ताँ ,जिसे तुम हंसी में उड़ा गये ...'
    aankhe moond kr sun rhi hun yh ghazal aur ........ aapki pasand ko daad de rhi hun.bahut moti hain is sagar me yh vyakti ki shkhsiyat batat hai ki...wo kya chunta hai. jiyo.

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