वो,रोज़ आता रहा,सपनों में,मेरे
पूछता रहा,चाहिये और क्या तुझे
हर बार कहती रही--------------
अभी एक सपना और तो देख लूं
फिर,आ जाना कभी----------
जब,सपना मेरा चुक जाएगा,तो कह दूंगी तुम्हें
वो,मुस्करा कर,दबे पांव उठ गया
और,मैं लेटी रही,मुदीं पलकों में,सपने लिये .
मन के-मनके
वाह!! बहुत गहरी एवं सुन्दर अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteसपने देखना और उन्हे पूरा करना, इसी में जीवन निकल जायेगा।
ReplyDeletever very nice
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
वाह!! सीधी सादी भाषा में गहन अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसादर बधाई...
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति | आभार |
ReplyDeleteमेरी नई रचना जरुर देखें |अच्छा लगे तो ब्लॉग को फोलो भी कर लें |
मेरी कविता: उम्मीद
अच्छी रचना
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