Sunday, 1 July 2012

द एम्टी बोट—च्वांग्त्सु के बोधवचनों व बोधकथाओं पर


१.      शासन करने वाला व शासित होने वाला—दोनों ही सदा दुखी रहते हैं.

२.      कामना—प्रभावित करने की व प्रभावित होने की—सदा दुख देती है.

३.      संसार-रूपी, सरिता को पार करते हुए—अपनी नाव खाली रखो,

अहंकार,क्रोध,विद्वेष, इच्छा, कामना व वेदना से.

४.      कोई भी सफलता प्राप्त करना,असफलता का प्रारंभ है,और प्रसिद्धि,अपयश का.

५.      जो व्यक्ति,प्रसिद्धि और सफलता के नशे से मुक्त हो जाता है—वह व्यक्ति सभी की नजर से दूर—ताओ प्रपात की भांति,कल-कल बहेगा,सहज-सरल.

६.      अपने अंदर से,’मै” को,निकाल बाहर फेंको,तभी,खाली स्थान में कुछ और जा सकेगा.

७.      मनुष्य का स्वभाव—असीम-अनंत, आकाश की भांति अछोर है.

८.      ’कोई नहीं बनना’, सबसे अधिक कठिन और लगभग,असंभव है.

९.      जो,घट रहा है—घट रहा है,यदि फूल से पूछें,वह फूल क्यों है—फूल होना,उसका स्वभाव है.

१०.’अहंकार’ दोनों अतिओं में संतुष्ट होता है.

११.मध्य-बिंदु- ही,शून्यता की पवित्र-भूमि है.

१२.’ताओ’ और अन्य धर्मों में अंतर है—अन्य धर्म,नैतिकता सिखाते हैं,जबकि,’ताओ’

   ’मैं’ रहो ही नहीं सिखाता है.

  १३.च्वांग्त्सु के अनुसार—चरित्र को विकसित करना—सम्पति संचय करने के समान है,जिसके नष्ट होने का भय है.

  १४.जीवन—वर्तुलाकार है,गतिशील होने से हमें पाने का अहसास होता है.

  १५.जहां विशिष्टता है,वहीं अहंकार है.

  १६.किसी को,बेवकूफ सिद्ध करने का प्रयास मत करो—क्योंकि बेवकूफ लोग इसे पसंद नहीं करते.

  १७.एक बुद्ध,स्वंम ही शक्ति है,दिशाहीन,गंतव्यहीन,अतिरेक से प्रभावित हो रही है.

  १८.जब तुम खाली हो जाओगे(अहंकार,विद्वेश्य,इच्छा,कामना से) पूरा आस्तित्व तुम पर बरसने लगेगा.

  १९.’ध्यान’ और कुछ भी नहीं—’अपने’ को खाली करना और ’कोई नहीं’ बनना.

  २०.यही,’ कुछ नहीं होना’, आस्तित्व का आशीर्वाद है.        .




7 comments:

  1. सौ फीसदी सच
    पूरी तरह सहमत

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  2. बहुत सार्थक प्रस्तुति...

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति ....

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  4. सार्थक/प्रशंशनीय...
    सादर आभार।

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  5. अनुभव की गहरी पर्तों से निकले वाक्य..

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  6. सूक्ष्म अनुभव कों बांटा है आपने सब के साथ ...

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  7. बहुत ही अच्छी पोस्ट. इन सूत्रों को मैं जरुर हृदयम पर सबके लिये पोस्ट करूँगा ..बधाई स्वीकार करे और आपका आभार !
    कृपया मेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है . आईये और अपनी बहुमूल्य राय से हमें अनुग्रहित करे.

    कविताओ के मन से

    कहानियो के मन से

    बस यूँ ही

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