मैने,तुझको --- देखा है
बंद पलकों की चिलमन से यूं,
नीलों फूलों की ,आभा नीली सी
पोरों को, नीली सी कर गया है,तू
मैने,तुझको --- स्पर्श किया है
बंद पलकों की,चिलमन से,यूं,
पीपल के पत्तों की ,करतल में
धुन गाता,मंदिर में,भजन सरीखा,तू
मैंने,तुझको----ध्याना है,स्तुति सा
बंद पलकों की चिलमन से,यूं
कडवी सी,नीम-निबोरी सा बन,स्मृतियों में
मीठी-मिश्री सा,मुंह,घुला-घुला सा,तू
मैंने तुझको--- चखा है,मिश्री की डली सा
बंद पलकों की चिलमन से,यूं
बन, विहग की परवान,क्षितिज में
सपनों की पांत,धवल सी,मुट्ठी में,आया तू
मैंने तुझको---- देखा है,सपनीली आशाओं में
बंद पलकों की चिलमन से,यूं
मंद-मंद,पवन-बसंती,सरसों के खेतों में,आवारा सा
गोरी के घूंघट में,मुस्कान बना,बसंती सा,तू
मैंने तुझको--- झांका है, गोरी के घूंघट में
बंद पलकों की चिलमन से,यूं
इंद्रधनुष के रंगों की ,फेरी कूची
कितने जाल,धरा की चुनरी पर,बुनता सा ,तू
मैंने तुझको--- ओढा है,दुल्हन की चुनरी सा
बंद पलकों की चिलमन से,यूं
भोर,हुई नारंगी सी,जब
हर दरवाजे पर,दस्तक देता सा,तू
मैंने तुझको--- पाया है,हर दस्तक की आहट में
बंद पलकों की चिलमन से,यूं
सांझ ढले, ठंडी लपटों सा बन
दे गया,पुनः आने का आश्वासन,तू
मैंने तुझको--- छुआ है,भोर की किरणों में
बंद पलकों की चिलमन से,यूं
मैंने ,तुझको देखा है--------
मन के--मनके
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबड़ी ही सुन्दर रचना।
ReplyDeleteमैंने तुझको--- झांका है, गोरी के घूंघट में
ReplyDeleteबंद पलकों की चिलमन से,यूं
सुंदर गीत ....!!
सुन्दर!
ReplyDeleteमैंने तुझको--- छुआ है,भोर की किरणों में
ReplyDeleteबंद पलकों की चिलमन से,यूं
मैंने ,तुझको देखा है--------
यह पंक्तियाँ विशेष अच्छी लगीं।
सादर
आपकी पोस्ट की हलचल आज (30/10/2011को) यहाँ भी है
ReplyDeleteबहुत खूब...सुंदर गीत ...
ReplyDeleteसादर...
नाजुक और कोमल शब्द-चयन ने भावों का सौंदर्यवर्धन कर दिया.मन को छूती रचना.
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