Friday, 29 July 2011

जीवन का गणित

हम होश संभालते ही,दो दूनी चार के पहाडे के चारों ओर चकर-घिन्नी खाता रहता है और सारा जीवन बडी-बडी खुशियों व  असम्भव सपनों के चक्रव्यूह मे उलझा रहता है.
न जाने छोटी-छोटी खुशियां,छोटे-छोटे पलों में तिरोहित होती रहती हैं,हम बडी-बडी खुशियों की तलाश में हर पल मरते रहते हैं और इतने भ्रमित रहते हैं कि खुशियां व आशायें पास से हो कर सरक जातीं हैं,बिना किसी आहट के.
इस पल का भरोसा नही,योजनाएं मरने के बाद तक की बनाने में जुटे रहते हैं.
कोठी बन जाती है,दरवाजे पर दहेज़ मेम आई लम्बी कार खडी हो जाती है,पेटों को काट कर छोटी-छोटी खुशियों के गले घोंट कर,फ़िक्स डिपोजिटों में रुपए दो दूनी चार होने के लिए कैद कर दिए जाते हैं.
आज कुछ ऐसा ही वाकिया देखने को मिला.देख व सुनकर हसीं भी आई और समझदारी पर भारी पडती नासमझी भी देखने को मिली.
किसी कार्यवश बेंक जाना हुआ वहीं मेरे पुराने परिचित अपने बेटे के साथ मिल गये.
औपचारिकता निभाने के बाद,मालूम हुआ उन्हें छः माह में दो हार्ट-अटेक पड चुके हैं,दो-तीन बार निमोनिया से भी पीडित रह चुके हैं,इसके अलावा एक बडी सर्जरी से भी गुज़र चुके हैं.
उनकी पत्नि भी सालों से अस्वथ है.बहुत सी बीमारियों से पीडित हैं.
खैर,ये सज्जन अपनी जमा-पूंजी का नोमिनी करवाना चह रहे थे,उसके लिए अपने बेटे का प्रपोजल लेकर आए थे.
उनकी दलील थी,चूंकि पत्नि अस्वस्थ रहती हैं,कभी भी जा जकती हैं अतः बेटे को नोमिनी बना दिया जाए.
वाह री समझदारी,वे स्वम दो हार्ट अटेक झेल चुके हैं फिर भी पत्नि के पहले जाने का इन्तजार कर रहे हैं.
अब उन्हे पिचहतर साल की उम्र में कौन समझाए जीवन का गणित क्या है?
जीवन में अनेकों त्रासदियां देखने के बाद भी मृत्यु का रहस्य क्यों समझ नहीं आता?
                                                    मन के-मनके

6 comments:

  1. यही विडंबना है हर कोई यही नही समझता।
    आपकी रचना आज तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
    http://tetalaa.blogspot.com/

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  2. बड़ी ही अनुपम है जिजीविषा, अच्छे अच्छों को भ्रमित कर देती है।

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  3. अपने को अमर समझते हैं ... अच्छी प्रस्तुति

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  4. मानवीय जीवन में मौजूद विरोधाभासों को उजागर करती सटीक अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  5. कुछ कहते नही बनता। शायद उन्हें डर हो कि उनके बाद पत्नी कैसे अकेले रहेगी।

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  6. वाह!
    बहुत सुन्दर पोस्ट!
    --
    पूरे 36 घंटे बाद नेट पर आया हूँ!
    धीरे-धीरे सबके यहाँ पहुँचने की कोशिश कर रहा हूँ!

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