सिर झुक रहा है
धीरे- धीरे
मैल , धुल रहा है
धीरे-धीरे
यह कनी हीरे की
अब तलक पडी थी
यहीं-कहीं
अब - तलक नजर
गई ही नही
शायद , कुछ कम ही थी
नजर ----- मेरी
मन के - मनके
धीरे- धीरे
मैल , धुल रहा है
धीरे-धीरे
यह कनी हीरे की
अब तलक पडी थी
यहीं-कहीं
अब - तलक नजर
गई ही नही
शायद , कुछ कम ही थी
नजर ----- मेरी
मन के - मनके
बहुत अच्छी क्षणिका!
ReplyDeleteबेहतरीन, अन्तरतम ही मूल्यवान है।
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