ऐक टुकडा, नीले आसमान का
दर्द से भरा,
सबके हिस्से में है,
जिसके तारों में छिपे हैं
वो चेहरे
ढूंढ्ते रहते हैं,जिन्हें हम ताउम्र
इस ज़मीं पर
पैदा हुआ है, जो
साथ इस सौगात के
जो सीने में चुभी है,
ऐक बददुआ की तरह
जो ओढी हुई, चादर की तरह,
फेकी भी नहीं जाती, और
ओढना भी है, उसका जरूरी
सुबह से शाम तक
शाम से उम्र के पार तलक
हर शख्स की सांस,
टूटी हुई आस की गांठ की तरह
गांठो से गांठो तलक, जुडती रही
ऐक आता है---
तो, ऐक जाने की तैयारी में लगा
जिन्दगी की फोटो फ्रेम में,
तस्वीरें जडी---
सांसों की गर्माहटों सी, कुछ
घर के कोनों मेंम हकती
कुछ, सांसें ट्क गईं
दीवारों पर, चिपके फोटो फ्रेम में,
जिन्दगी का फलसफ़ा,
पूरा देखें कहां,
नीचे ज़मी पर लिखा, या
आसमानी तारों में छिपा,
मन के - मनके
दर्द से भरा,
सबके हिस्से में है,
जिसके तारों में छिपे हैं
वो चेहरे
ढूंढ्ते रहते हैं,जिन्हें हम ताउम्र
इस ज़मीं पर
पैदा हुआ है, जो
साथ इस सौगात के
जो सीने में चुभी है,
ऐक बददुआ की तरह
जो ओढी हुई, चादर की तरह,
फेकी भी नहीं जाती, और
ओढना भी है, उसका जरूरी
सुबह से शाम तक
शाम से उम्र के पार तलक
हर शख्स की सांस,
टूटी हुई आस की गांठ की तरह
गांठो से गांठो तलक, जुडती रही
ऐक आता है---
तो, ऐक जाने की तैयारी में लगा
जिन्दगी की फोटो फ्रेम में,
तस्वीरें जडी---
सांसों की गर्माहटों सी, कुछ
घर के कोनों मेंम हकती
कुछ, सांसें ट्क गईं
दीवारों पर, चिपके फोटो फ्रेम में,
जिन्दगी का फलसफ़ा,
पूरा देखें कहां,
नीचे ज़मी पर लिखा, या
आसमानी तारों में छिपा,
मन के - मनके
बहुत सुन्दर कविता।
ReplyDeleteबहुत उम्दा रचना...
ReplyDeletemohak rachana man ko chhuti huyi ,
ReplyDeletedhanyavad ji.
बहुत सुन्दर भाव
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