तू , मौन सा , तू व्यौम सा
तू , निराकार - आकार सा
तू , यहां सत्य
तू , वहां व्याप्त
तू , सागर की लहरों में -- दूर छितिज़ तक
नील - शान्त - अशान्त - विकराल हुआ ---
हिम आच्छादित , शिखरों पर
इन्द्र - धनुष सा , व्याप्त हुआ
पिघले हिम शिखरों पर भी
बन भागीरथी , जता - मुक्त हुआ
जब - जब सृष्टि क्लान्त हुई
बन , भागीरथी , जता - मुक्त , हुआ
जब - जब , मुस्कानों के पडे अकाल
और , अश्रु - पूर्न - नम , आंख , हुईं
तब , बन किलकारी गोदी में , तू
सपनों सा साकार हुआ -------- तू
जब - जब , धरती चटकी है
पेतों में , भूखें -- पनपी हैं
तब मेघों में घिर आया , तू
घन - घोर , बरस , धरती की प्यास बुझाई , तूने ,
दफ़न हुए बीजों मे भी
बन जीवन , फूटा है , तू
बागों में बन , बसन्त , मौसम का
रंगोली सा , रंगीन हुआ है , तू
भोर हुई , तब , तब स्वर - लहरी , बन
सृष्टि - स्वरों में , गीतों सा , गूंजा है , तू
काल बन , आया तू ,
जीवन की , बांधी मर्यादायें तूने
बीज सरीखा , बन जीवन का
कोख - कोख , में , पनपा है , तू
तू , मौंन सा , तू , व्यौम सा
तू , निराकार - आकार - सा
मन के - मनके ( उमा )
तू , निराकार - आकार सा
तू , यहां सत्य
तू , वहां व्याप्त
तू , सागर की लहरों में -- दूर छितिज़ तक
नील - शान्त - अशान्त - विकराल हुआ ---
हिम आच्छादित , शिखरों पर
इन्द्र - धनुष सा , व्याप्त हुआ
पिघले हिम शिखरों पर भी
बन भागीरथी , जता - मुक्त हुआ
जब - जब सृष्टि क्लान्त हुई
बन , भागीरथी , जता - मुक्त , हुआ
जब - जब , मुस्कानों के पडे अकाल
और , अश्रु - पूर्न - नम , आंख , हुईं
तब , बन किलकारी गोदी में , तू
सपनों सा साकार हुआ -------- तू
जब - जब , धरती चटकी है
पेतों में , भूखें -- पनपी हैं
तब मेघों में घिर आया , तू
घन - घोर , बरस , धरती की प्यास बुझाई , तूने ,
दफ़न हुए बीजों मे भी
बन जीवन , फूटा है , तू
बागों में बन , बसन्त , मौसम का
रंगोली सा , रंगीन हुआ है , तू
भोर हुई , तब , तब स्वर - लहरी , बन
सृष्टि - स्वरों में , गीतों सा , गूंजा है , तू
काल बन , आया तू ,
जीवन की , बांधी मर्यादायें तूने
बीज सरीखा , बन जीवन का
कोख - कोख , में , पनपा है , तू
तू , मौंन सा , तू , व्यौम सा
तू , निराकार - आकार - सा
मन के - मनके ( उमा )
maun annant hai...thaah pana mushkil kai...ati sunder...
ReplyDeleteकविता नहीं दिख रही है।
ReplyDeleteभोर हुई , तब , तब स्वर - लहरी , बन
ReplyDeleteसृष्टि - स्वरों में , गीतों सा , गूंजा है , तू
काल बन , आया तू ,
जीवन की , बांधी मर्यादायें तूने
prakriti se juda ek sambandh... bahut badhiyaa
तू , मौंन सा , तू , व्यौम सा
ReplyDeleteतू , निराकार - आकार - सा
--अद्भुत!!!
बहुत सुन्दर शब्द संयोजन ...खूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 12 - 04 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
तू , मौंन सा , तू , व्यौम सा
ReplyDeleteतू , निराकार - आकार - सा
बहुत सुंदर ...गहन अभिव्यक्ति
बहुत बढ़िया लिखा आपने.रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeletebadiiya.. bahut badiyaa..
ReplyDeletezarre-zarre me...patte patte me usi ki to mahima hai.sunder abhivyakti.
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