मानस के आंगन में
स्मृतियों का वट-वृक्छ
जिसकी सन्यासी छाया में
मैं.बैठा बुध्दा चिर-क्लांत मानस के आंगन में
अनंत-अनुक्तर----
झंझावत प्रश्नों के
खोज रहा नितांत- निरंतर
मुक्ति- मार्ग---- मानस के आंगन में
कभी-कभी हम सबको भी
पीना होता है,
जीवन-अमृत की आशायें
मृत्यु-विष का कडु़वा घूंट मानस के आंगन में
शांति-सुलह की आशा में
कभी-कभी सहनें पड़ते है
जन्मों से सिचिंत
विव्दोषों के झंझावत मानस के आंगन में---
कभी-कभी, मिलते हैं
अनकिये अपराधों के दंड
कभी-कभी, फूलों की घाटी में
उग आते हैं,विष-शूल मानसके आंगन में
कभी-कभी आग उगलते हैं
आंगन में गुल्मोहर के फूल
कभी-कभी,आंगन की छाया बन
चुन लेते हैं हृदय में बिघें कटीलें शूल मानस के आंगन में
कभी-कभी किरकिरी एक
आंखों को कर देती है, नम
कभी-कभी किरकिरी एक
आ जाती होठों पर बन मुस्कान मानस के आंगन में
कभी-कभी मुठ्ठी भर रेत उम्र की
सरक जाती है बे आवाज
कभी-कभी मुठ्ठी भर रेत उम्र की
कर देती है कंघों को लहुलुहान मानस के आंगन में
उमा(मन के - मनके)
स्मृतियों का वट-वृक्छ
जिसकी सन्यासी छाया में
मैं.बैठा बुध्दा चिर-क्लांत मानस के आंगन में
अनंत-अनुक्तर----
झंझावत प्रश्नों के
खोज रहा नितांत- निरंतर
मुक्ति- मार्ग---- मानस के आंगन में
कभी-कभी हम सबको भी
पीना होता है,
जीवन-अमृत की आशायें
मृत्यु-विष का कडु़वा घूंट मानस के आंगन में
शांति-सुलह की आशा में
कभी-कभी सहनें पड़ते है
जन्मों से सिचिंत
विव्दोषों के झंझावत मानस के आंगन में---
कभी-कभी, मिलते हैं
अनकिये अपराधों के दंड
कभी-कभी, फूलों की घाटी में
उग आते हैं,विष-शूल मानसके आंगन में
कभी-कभी आग उगलते हैं
आंगन में गुल्मोहर के फूल
कभी-कभी,आंगन की छाया बन
चुन लेते हैं हृदय में बिघें कटीलें शूल मानस के आंगन में
कभी-कभी किरकिरी एक
आंखों को कर देती है, नम
कभी-कभी किरकिरी एक
आ जाती होठों पर बन मुस्कान मानस के आंगन में
कभी-कभी मुठ्ठी भर रेत उम्र की
सरक जाती है बे आवाज
कभी-कभी मुठ्ठी भर रेत उम्र की
कर देती है कंघों को लहुलुहान मानस के आंगन में
उमा(मन के - मनके)
कितना कुछ घटता रहता है, मन के आँगन में।
ReplyDeleteमन के आँगन की विधाओ का बेह्द उम्दा चित्रण किया है।
ReplyDeleteकभी-कभी, मिलते हैं
ReplyDeleteअनकिये अपराधों के दंड
कभी-कभी, फूलों की घाटी में
उग आते हैं,विष-शूल मानसके आंगन में
कभी-कभी आग उगलते हैं
kitna kuch kah diya
मन के आँगन में
ReplyDelete...उम्दा चित्रण किया है ।
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteमाँ दुर्गा आपकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण करें
मानस का आंगन.....एक जीवन!! पूरा का पूरा...
ReplyDeleteउम्दा रचना....