Love---is
like exhalation.Your energy go out to meet the other person.
Meditation---is
like inhalation.Your energy goes to the deepest core of your being. Osho
कुछ गमलों में
कुछ पौधे,रोपे थे
कुछ बोगनवेलियां
काटों से उलझती हुई
लटक आईं थी
बालकनी में,मेरे
कुछ पौधे,बेनामी से
माली ने रोप दिये थे
जिन पर,कुछ फूल,बेमानी से
खिल आए थे—अनमने से
एक गमला-----
मिट्टी-खाद से भरा
बीज से खाली---
रखा था,एक कोने में
बालकनी में,
मेरे----
सूखी धूप ने---
दहका दिया था,उसे
मेरी ही अनदेखी ने
चटका दिया था,उसे
कुछ दिनों बाद
वक्त की बरसात हुई
सभी गमलों पर
बौछार हुई---
वह भी,कुछ बूंदों को पाकर
सिक्त हुआ,आभार से
और,एक दिन
दो पाती में----
बीज एक जो---
बोया ही नहीं था,मैंने
पुरवैया में झूम रहा था
अरे!!
तुम कौन हो?
उसे छूने लगी
उसकी ठंडक को
सांसों में भर
पीने लगी थी,मैं
वह हंसा---
ठहरो जरा---
अभी तो दो-चार पाती हैं
कुछ दिनों बाद—
तुम्हारे और गमलों की तरह
मैं भी,भर जाऊंगा—
पातियों से,डालियों से
और फिर---
कुछ बंद कलियों में
खुलेगें दरवाजे,राज के
उनमें से एक फूल
खिल जाएगा---
तुम्हारे प्रारब्ध का(जो
तुमने बोआ ही न था)
तुम चाहो तो,तोड लो उसे
चाहो तो,रोज सुबह छू भर
लेना
और रोज सुबह,महक उसकी
पी भर लेना---
बंद आंखों से
खुली मुट्ठियों में भर
तकिये के नीचे
चाहो तो---
रख लेना,उसे---
सुन्दर शब्दचित्र।
ReplyDeleteजिसको आना है उसे कौन रोक रक्त है ... और किसी के चाहने न चाहने से भी क्या फर्क ... हाँ उसे अपनाना जरूर चाहिए जो आ गया है ...
ReplyDeleteसशक्त भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति... बधाई.
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