Seed of Prayer is Gratitude.
Scriptures in Silence.
Sermons in Stones. Osho.
मिट्टी को छुआ
फूलों की महक ने
महका दिया, तूने
मुझे—
नंगे
पैर
घास पर
बिछी
ओस पर
चली
भिगो दिया, तूने
मुझे---
हवाओं
को छुआ
तो पास
अपने,मुझे
बुला लिया
तूने---
पूरा चांद लिये
हाथों में,तू
नाप रहा था,
आसमान—
जैसे बिखरे तारों को
कटोरे में
भर—
देने आ रहा था,तू
मुझे---
ये,
मंदिरों की घंटियां
बे-वजह
अल-सुबह
टकराती
हैं
कानों से
तू---
हर
सुबह
देर
रात-तलक
होता ही है
पास मेरे
तेरी पहचान, अब
मेरी
हो गयी है
या कि, तू,मेरा
हो गया है???
दो शब्द—और कहने
की इजाजत दें---
स्वर्ग---शब्द एक अपरिभाषित शब्द,यूं कह सकते हैं—हमने स्वम
से छिटक कर स्वम को पाने की अतृप्त लालसा से खुद को जकड लिया हो या कि स्वम को
पाने की मृगमरीचिका हो या कि एक भ्रम एक धोखा हो?
यहां हर एक पल, हर एक सांस स्वप्न-मंडित है.
स्वर्ग—धूल-धूसिर हो रहे हैं और हम जानते हुए उन पर
मरीचिकाओं की नकली परत चढाते रहते हैं.
इस परत को उतार कर ही स्वर्ग दिखते हैं.
बिखरे हैं—स्वर्ग चारों तरफ.
आपकी लिखी रचना बुधवार 17 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण.
ReplyDeleteनई पोस्ट : चपत लगाने से पहले
बहुत हि सुंदर , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 18 . 9 . 2014 दिन गुरुवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
खुबसुरत रचना
ReplyDeleteसही है.... बिखरे हैं स्वर्ग चरों तरफ।
बेहद उम्दा ..बधाई
ReplyDeleteभावों का सैलाब जब उमड़ता है ... सभी तट टूट जाते हैं ... और बिखर जाते हैं स्वर्ग चारों तरफ ...
ReplyDeleteDil ko chuti rachna...bhaawpurn !! BadhAayi aapko !!
ReplyDeleteखूबसूरत रचना ।
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