मैं, पीले फूलों वाला घर हूं,
पूरब के कोने में,
तुलसी का विरबा है
विरबे में,दीये का साया है
साये में,जीवन की गाथा है
मैं,पीले फूलों वाला घर हूं,
घर की दीवारें पीली हैं
दीवारों पर लाल कंगूरे हैं
लाल कंगूरों से लिपटी
अंगूरों की बेले हैं---
मैं,पीले फूलों वाला घर हूं,
सांसों के अहसास भरे
घर में कुछ कमरे हैं
एक कमरा खाली है
खाली कमरे में अहसासी साया है,
मैं पीले फूलों वाला घर हूं,
दीवारों से सिमटे---
जाली के दरवाजे हैं
दरवाजों पर सिमटी आंखों में
कल की आशा है------
मैं,पीले फूलों वाला घर हू,
दरवाजों पर सिमटी आंखों में
ReplyDeleteकल की आशा है------
बहुत बढिया।
बहुत सुन्दर मनके हैं। बधाई।
ReplyDeleteक्या कहने,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteसादर बधाई...
पीले फूलों वाला घर मूर्त हो चला है आपकी लेखनी के माध्यम से!
ReplyDeleteघर एहसासों का निरूपण है।
ReplyDeleteवाह वाह वाह - सुंदर चित्रण किया है पीले फ़ूलों वाले घर का।
ReplyDeleteवाह...वाह...वाह....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर...
आपकी रचनाओं में जो सकारात्मक उर्जा होती है, आस विश्वास का उजाला होता है, मन हर लेता है...