प्रारब्ध---
कल अचानक सोने से पहले एक विचार मास्तिष्क में बहने लगा ---
एक शक्ति, एक प्रोग्राम है, हम सब की जीवन दिशा निर्धारित करने के लिए.
आस-पास बहती जीवन धाराएं किस बहाव की ओर बह रही हैं,हर धारा पूर्व नियोजित कार्यक्रम में बंधी सी लगती है.
प्रयत्न किस दिशा में किये जाते हैं ,परिणाम क्या मिलता है---
किसी यात्रा पर जाते हुए कोइ मिल गयाऔरउसने आपकी यात्रा का प्रयोजन ही बदल दिया--एक प्रश्न को जन्म दे देता है,जो सदैव निरुत्तरित है.
यही कारण है ,हर कोइ बुद्ध नहीं हो पाया और हर कोइ अम्गुलिमाल.
आगे ---अगली पोस्ट पर--
हा हा माला माल मगर कई हो लिये :)
ReplyDeleteसार्थक।
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