Wednesday, 13 June 2012

स्वप्न मेरे................: खत ...

स्वप्न मेरे................: खत

’पर कमबख्त तेरे ये खत
खत्म होने का नाम नहीं लेते’
कुछ यादें चलती हैं ,उम्र तलक, बहुत. सुंदर.
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1 comment:

  1. नित लिखना, नित कहते रहना,
    मन में रख कर नहीं है सहना।

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