Wednesday, 24 June 2015

यही छटा है—जीवन की



शुरू करती हूं—कुछ पंक्तियों से—जिन्हें आप जो भी नाम दें—स्वीकार है,क्योंकि शब्द तो उतर आते हैं—लेकिन पता नहीं चलता कहां से आए—जैसे सीगल की तरह—नीले पांखों वाले सुंदर पक्षी—अब किस देश से आए—मैं पूछती भी नहीं—बस यही क्या कम है—वे इस निर्जन तट पर आ तो गये---!!!
बहुत बे-बाक है,मुहब्बते—आरजू
जैसे कोई आ गया हो- परवाज कोई
दूर सरहदों के पार से—
मेरी सरहदों पर— एक मुलाकात के लिये
वक्त की रेत पर,जहां
अहसास की हर लहर
पोंछ जाती हैं—हर इबारतें
आज की—पहचान की
क्योंकि,अब-तक मैंने
जाना ना था—
अब जाना है,कि
हर कोई यहां
हर-पल--
एक ही तलाश में है
हर हाल में--
कोख के काले अंधेरों में
उजाले की तलाश है
उजालों में—
सहारों की तलाश है
जब कदमों पर आ गये तो
थामने को एक-उंगली की तलाश है
राहें मिल गयीं,तो
एक मंजिल की तलाश है
झिल-मिल नीद की ओढे चादर
तो,सपनों की तलाश है
सपने मिल गये तो,
एक मुट्ठी की तलाश है,
फिर एक और तलाश की
एक और तलाश है--??
तिनके-तिनके से जुडा एक आशियाना,
जिसे तलाश है—रहगुजर की,कि
किलकारियों की गूंज—
जो दूर-दूर होती जा रहीं
उन आवाजों की तलाश है
जो पास अब आनी ही नहीं?
हर एक तकिये को तलाश है
उन खुशबुओं की—जो
एक दिन—सूख ही जानी हैं
उन हथेलियों की—जो
सिर के नीचे से—
सरक ही जानी है---
फिर भी यहां हर कोई,एक
तलाश है--
तलाश को तलाशते हुए?
एक तलाश है??
और,ये तलाशें---
झुर्रियों के चिलमन के उस पार से
हमें देख—मुस्कुरा देती हैं—धीरे से---
यही जीवन की छटा है.
जो आई है—उस पार से.
किस पार से----??
जो लहरों पर फैला है—
उगते सूरज की नारंगीयत लिये
ढलती सांझ की,मटमैली ओढे चादर
यही एक तलाश है---जहां हर तलाश
डूब जाती है अनंत के क्षितिज में
और— हो जाती है क्षितिज---
क्षितिज की तलाश में---
हा-हा-हा---!!!                             
                                                          
                                              



9 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-06-2015) को "यही छटा है जीवन की...पहली बरसात में" {चर्चा अंक - 2018} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. धन्यवाद,शास्त्री जी.
    आप कैसे हैं?
    परिवार में मेरा सबको यथायोग्य.

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  3. तलाश तलाश तलाश ... ये तलाश कहाँ ख़त्म होती है ... रेगिस्तान में मरीचिका कहाँ ख़त्म होती ही ... फॉर तलाश ख़त्म हो जाए तो सासें किस लिए ... इसलिए अंतस को तलाश करना जहां कोई नहीं जा सकता ...

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना

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  5. अच्छी लगी यह कविता। मन के गहरे भाव को सामने किया गया है, ऐसा लगता है।

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