जीवन में सभी
सौंदर्य अतिरेक है,सभी सौंदर्य ’ओवरफ्लोइंग’ है,ऊपर से बह जाना.
जीवन के सब आनंद
भी अतिरेक हैं,जीवन में जो भी श्रेष्ठ है---अतिरेक है.
महावीर और बुद्ध
राजाओं के बेटे हैं,कृष्ण और राम भी राजाओं के बेटे हैं,ये ’ओवर्फ्लोइंग’ है.
ये जो फूल खिले
हैं,गरीब के घर नहीं खिल सकते थे.कोई महावीर गरीब के घर पैदा नहीं होगा,कोई बुद्ध
भी,कोई राम भी,कोई कृष्ण भी गरीब के घर पैदा नहीं होंगे.
ताजमहल भी वैसा
ही एक फूल है.वह सब अतिरेक से निकले हुए फूल हैं.
गरीब के घर फूल
कैसे खिल सकते हैं?
गरीब सिर्फ जी
सकता है---उससे फूल खिलने का कोई उपाय भी नहीं है.
(ओशो—संभोग से
समाधि की ओर )
सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeleteशुभकामनाएँ।
Thanks,be on my post with ur valuable words.
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