तेरी मुझे खबर नहीं-----
प्यार कोई चांदी का कटोरा है
या कि,चम्मच है सोने की
या कि,लाकरों की चाबी है
या कि,वीरानी है महलों की
प्यार कोई कहानी है, हीर-रांझा की
या कि,लैला-मंजनू की दिवांनगी है
या कि,भीगे हुए तकियों के सपने हैं
या कि,फाडी चिंदियों की कहानी है
प्यार तो मौसम हैं----
तो आंगनों में बिछे हुए पतझड भी हैं
पहाडों पर जमीं हुई बर्फें है----तो
नदियों में उफनती हुईं बर्बादीं भी हैं
बोगनबेलियों की
सुलगती कहानियां---तो
खिलते गुलाबों की बिखरती खुशबुएं भी हैं
बासंती चादरों में लिपटीं,लहलहाती सरसों भी हैं
आम की बौंरो का नशा,पीहू-पीहू की टेर भी है
बारिशों
के इंतजार में------
गर्मियों
की लपटें भी हैं---
रजाइयों में दुबकी सिसकियां भी हैं
मुडेंरों पर बैठे—संदेश भी हैं
प्यार दोधारी खंजर तो,
म्यान में रखी—एक तलवार भी है
प्यार मिटना भी है –तो
मिटाना भी है---
यह तो,एक जिद है जीने की
एक जिद है,पीने की---
एक जिद है,जाने देने की
तो,एक जिद है,साथ होने की
मैं,प्यार करूं---
यह मेरी तिजोरी है—
खोले रखूं या ताले लगाऊं
लुटाऊं या कि,लुट जाऊं
एक फ़कीरी है---
बस,चुल्लू भर---पीने की
यहां,मेरी जिद ही कायम है
तेरी----मुझे खबर नहीं---
मन
के-मनके
वाह
ReplyDeleteप्यार की तुलना लाजबाब अभिव्यक्ति
प्यार क्या क्या नहीं है .. और देखो तो कुछ भी नहीं है ... इधर उधर, यहाँ वहाँ सब कहीं तो है ... पर फिर भी नहीं है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर उर्मिला जी...मन खुश हो गया पढ़ कर.
ReplyDeleteयह तो एक जिद है जीने की..............और कुछ भी नहीं
ReplyDeleteआपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeletebahut hi achha chitran kiya hai pyar ka.
ReplyDeleteshubhkamnayen