आज का मीडिया जगत दिन पर दिन नये आयाम खोल रहा है,जैसे---खुल जा सिमसिम
इस विस्मृतिक जगत में मैंने अनायास ही कदम रख दिया, सो नादानियां तो होनी ही थीं.
परंतु,समय-समय पर आप सभी का मार्गदर्शन मिलता रहा,आभारी हूं,भविष्य में ऐसे
ही मार्गदर्शन की आकांक्षा लिये हुए.
अभी तक मैंने अपनी पोस्ट के साथ जो भी चित्र संगल्न किये हैं, वे सभी गूगल के साभार
से लिये गये हैं.
इस स्वीकार्योक्ति के विलंब के लिये क्षमा चाहती हूं,कारण कुछ तकनीकी अनिभिग्यता ही है.
मन के-मनके (उर्मिला सिंह)
बहुत शुभकामनायें, ऐसे ही अभिव्यक्ति धार बहाती रहिये।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं....
ReplyDeleteइस आभासी दुनिया में हमारे आत्मिक भाव एक रूप ले लेते हैं... खुल जा सिम सिम की तरह... यूँ ही लिखती रहे, शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteशुभकामनायें |शायर जमीर अहसन का एक शेर -कांटा जुभे जो पांव में चलकर तो देखिए /मुमकिन हो कोई कांटा ही कांटा निकाल दे |
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteसृजन एक अभिव्यक्ति है,अनुभूति है
बस आप अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करती रहें
बधाई आपको
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों