प्रेम,एक प्रतीक्षा है.
प्रेम,अवेटनिंग है.
प्रेम,एक धन्यता है.
प्रेम,निष्प्रयोजन है.
प्रेम,एक परपज है.
प्रेम,कोई शास्त्र नहीं.
प्रेम,कोई सिद्धांत नहीं.
प्रेम,कोई परिभाषा नहीं.
प्रेम सदैव झुकने को राजी है,अहंकार कभी भी नहीं.
प्रेम, जब भी कुछ देता है,खुश होता है,अहंकार,जब भी कुछ लेता है खुश होता है.
प्रेम,निष्प्रयोजन
है,अहंकार,एक प्रयोजन है,एक परपज है.
प्रेम,टूट कर भी
आनंदित है,अहंकार,पाकर भी आनंदित नहीं होता.
प्रेम,देने की
भाषा समझता है,अहंकार लेने की.
वाकई प्रेम के कई रूप है..कभी बहुत आसान सा लगता है और कभी न सुलझने वाली पहेली के जैसे..सुन्दर रचना..बधाई
ReplyDeleteबिल्कुल सही
ReplyDeleteसुंदर रचना
बहुत बढिया
बहुत बढ़ि्या...!
ReplyDelete"प्रेम,देने की भाषा समझता है,अहंकार लेने की."
ReplyDeleteबहुत खूब...|
सार्थक चित्रण .....बहुत खूब
ReplyDeleteअनेकों रंगों से सजा प्रेम..
ReplyDeleteएक ही प्रेम के कितने रूप ... जो जैसा चाहे प्रेम उसको उसी रूप में मिलता है ...
ReplyDeleteसार्थक चिंतन ...
प्रेम एक रूप अनेक |बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
१००% सुच्ची परिभाषा ...
ReplyDelete