वही,सज्जन,जो डालर की धरती पर,२० मकानों के मालिक हैं.
अपने मुहल्ले के( जहां उनका जन्म हुआ, बचपन बीता,जवानी के भी कुछ वर्ष व्यतीत हुए) पडोस के एक घर में कुछ दुखदः घटनाएं होती गईं,अंततः,उनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं रहा,सिवाय,विधवा पत्नि,विधवा बहू व एक शादी योग्य कन्या के,जिनसे,पडोस का हर परिवार करी्ब६० वर्ष से हर-रूप में सहभागी रहा.ऐसी परिस्थिति में वे ही लोग इस मानवीय त्रासदीय को
चटकारे ले कर किस्सों का रूप दे रहे थे.हनुमानजी के रिण से तो मुक्त हो रहे हैं,लेकिन जो जीवित भगवान,उनके घरों की दीवार से लगे सिसक रहे हैं,उनके लिये भविष्य के लिये कुछ आश्वासन भी नहीं हैं,उनके पास.
भगवान ही जाने,२०-२० मकानों का क्या करेगें,रहने लिये तो १०+१० फ़ीट की छत ही काफ़ी है.
और,यदि,बच्चों के लिये इतना छोड कर जाएंगे तो,आखिरकार,ताउम्र,बच्चे करेगें क्या?
इतना जोड़ा,
ReplyDeleteपर न जोड़ा,
टूट रहे जो।
हम्म!! क्या कहें..
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