मित्र,तुम चटक मत जाना
हाथों में,दे,अपना हाथ—
एक वादा करते जाना—
फिर चाहो तो,पथरीली राहों पर, बढ जाना,
मित्र, तुम चटक मत जाना,
झंझावत भी आएंगे,राहों पर
तूफानों की भी,आवाजाही होगी
कभी,बवंडर रेतों के,आंखों में चुभ जाएंगे
कभी रेत, चांदी सी,मरुद्धान सरीखी,धोखे भी देगी,
मित्र,तुम, चटक मत जाना,
राहों के चौराहे,होते नहीं कभी चौरस
चौराहों पर भी,दिशा-निर्देश करते हैं,भ्रमित
कभी,डगर, पनघट की,सूखे कुए तक ले जाएगी
क्योंकि,यहां,यही चलन है,जीवन का---
मित्र,तुम, चटक मत जाना,
कब,कोई,आंख मूंद,ले सपनों को
होठों पर,मुस्कान लिए, अनचटकी सी
शिखरों तक,पहुंचे हैं,कभी,बिन,रीते सपनों के
जिनके पैर,लहूलुहान ना हुए,बंद मुट्ठियों से,चुके हैं,भविष्य भी
मित्र,तुम, चटक मत जाना,
कब,कोई,आंख मूंद,सपनों को ले
होठों पर,मुस्कान लिये, अनचटकी सी
शिखरों तक,पहुंचे है,बिन रीते सपनों के
जिनके पैर,लहुलुहान हुए ना,बंद मुट्ठी से,चुके भविष्य
मित्र, तुम,चटक मत जाना,
कब,कोई,बुद्ध हुआ,बुद्ध कभी
बिन तलुवों को बींधे,शूलों से
कब,कोई,बुद्ध हुआ,बुद्ध कभी
बिन ढोए,दुत्कार अपनों की
मित्र,तुम,चटक मत जाना,
कब,कोई,बुद्ध हुआ,बुद्ध कभी
बिन,ले भिक्षा-पात्र—हाथों में
कब,कोई,बुद्ध हुआ,बुद्ध कभी
बिन,गुजरे अभिमानी-गांवों से,
मित्र,तुम,चटक मत जाना,
यह सत्य,तुमने भी जाना है
तभी तो------- हर-पल---
थामे हो,उंगली भटकन की
और,चल निकले हो,पीडाओं की,ओढे चादर,
मित्र,तुम,चटक मत जाना,
एक आंचल,पेबंद लगा—
ओट बना,साथ तुम्हारे होगा,हमसाया सा
हर्ज़ नहीं,झंझावत में भी,और—
छितर-छितर-----जाएगा
फिर भी, कुछ ओट,तुम्हारी,कर ही देगा----
मित्र, तुम,चटक मत जाना,
मन के-मनके
एक आंचल,पेबंद लगा—
ReplyDeleteओट बना,साथ तुम्हारे होगा,हमसाया सा
हर्ज़ नहीं,झंझावत में भी,और—
छितर-छितर-----जाएगा
फिर भी, कुछ ओट,तुम्हारी,कर ही देगा----
मित्र, तुम,चटक मत जाना,
उर्मिला जी बहुत ही प्यारा गीत ....
दिल से लिखा हुआ ...
स्वागत है आपका इस दुमिया में ....