कहां से शुरू करूं
तेरा नाम—
मंदिरों की चौखटों को छू कर
मस्जिद
की ओर,मुंह मोड कर
गुरुद्वारों
की लंगरों की कतारों से
या
कि,गंगा के तट पर,अंजुलि में तुझे भर कर
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम—
या
कि,मां की आंखों की नमी छू कर
या
कि,पिता की झुंझालाहटों में तुझे ढूंढू
या
कि,बहन की राखी के धागों में तुझे खोलूं
या
कि,भाई की यादों की गलियों में तुझे ढूंढू
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम---
या कि,जीने की चहकती-चाहतों में
या कि,लाचारी की लाचारियों में
या कि,मरने की मजबूर-मजबूरियों
में
या कि,जाने की खामोश-खामोशियों
में
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम—
या कि,उन अधूरे ख्याबों से
जो नींद से अभी जागे ही नहीं
याकि,उन बिखरती उम्मीदों से
जो,ना-उम्मीदी अभी हुई ही नहीं
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम—
या कि, उन भूखे पेटों की सलवटों में
या कि,
भरे हुए पेटों की ठुकराई हुई रोटियों में
या कि,उन इंसानी-भूखों में,जो
हम-शरीक है—भूखे कुत्तों की
टोलियों में
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम---
या कि,भरी हुई मुट्ठियों की
बे-वजह
भिंची
हुई लकीरों में
या कि,बे-वजह नुमायशों में,उनके
लिये
जिनको, इनकी जरूरत ही नही
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम---
सवालिया-सवालों
के बंजरों में
जहां
अपनत्व के सूखे बीज भी
फूट सकते थे कभी—कोंपलों में
वहमी-कोहरों को चीर कर
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम—
या कि ’मैं’ बे-वजह के
सुनसानों में
सांस लेती हुई भी—
दफ़्न हो रही है(मै) बे-वजह
नियामतों के खंडहरों में
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम---
इस बे-वजह ’मैं’ की ढहती हुई
दीवारों को
फिर से उठा लें उन खूबसूरत
कंगूरों में
जहां से झांकती होगीं सतरंगी टहनियां
जिंदगी की लहलहाती हुई बेलों में
अभी,वक्त है,
अभी भी रह गया
कुछ,शेष है
जो शेष है,वही सत्य है.
क्यों कि,वह कृपण हो सकता नहीं
वह हमसे
रूठ सकता नहीं
वह हमको रूठता देख सकता
नहीं
आतुर है (वह) हमारे
आसुंओं को पोंछने के लिये
इसलिय तो.
हर रात
के बाद एक सुबह होती ही है
बादलों के पार से,इद्रधनुष बिखरता ही है
मौत के सन्नाटों से भी किलकारियां जन्मती ही हैं
बिछुडने
के बाद भी,मिलन की आस टूटती नहीं
नफ़रतों
की गलियों में भी,एक हाथ दोस्ती का
किसी एक
दरवाजे से बाहर आ ही जाता है
और, जो रूठ कर चले जाते भी
हैं,वे
वापस
आने के लिये, कुछ-न-कुछ निशां
छोड कर जाते भी हैं—
कहां से शुरू करूं
तेरा नाम---
तू,तुझसे ही अदि
और,तुझ पर ही अंत है
बस,’मै’ को छोड
बस तू ही तू है.
और यहीं से शुरू करूं
तेरा नाम---. मन के-मनके
२७.१०.१५,सिडनी,आस्त्रेलिया.
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना की प्रस्तुति। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteWah!
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