Maa Maneesha from Pune---
In fact,reading His words is
more like listening- to music---or wine-tasting---take a sip---smell the bouquet
and allow the flavor tickle your
spiritual palate.
Here an humble approach,from
my being as it always been taken into a state of trance, an ecstacy,a state of
non-beingness whenever I take a dip into The Oshonic-Ocean----everytime trying
to pick up some pearls of mysticism----and sometime could and sometime not.
Man ke-manke
कुछ शब्दों को ढूंढा है,ओशो महासागर में डुबकी लगाती रहती हूं---कुछ पा पाती हूं----अक्सर खुद को खो आती हूं.
१. ये,नदियों के ऊपर
टिके हुए पुल---
पुलों से गुजरते हुए,
काफिले----
जिंदगियों के,
जरूरी तो हैं?
गर,बह्ती, नीचे ना होती, धार
जीवन की,
पुल---
सांसों की कब्रों पर,
लिखे हुए,कुछ हाशिये हैं
दफ़न हुई सांसों पर
बोझ हैं----
पत्थरों के.
Man is not a being but a
bridge----when you become light,when light becomes your being---you become a
being.
२.थामे उंगलियों को
मां की---
चलना तो, सीखना जरूरी है
पर---
जब ये उंगलियां बन जांय
मुट्ठियां----तो
कदमों की आहटें सहम जाती हैं
सपनों की स्याही से खीची लकीरें
छोटी हो जाती है
लेने-देने के आंचल से पुछ जाती हैं.
मां,अब हाथ छोड भी दो,मेरा
अब मुझे,चलना आ गया है
मां,अब फिक्र छोड भी दो,मे्री
मुझे,गिर कर संभलना आ गया है
अब,मुझे घोंसले के बाहर जाने दो
अपना दाना,चुनने दो, मुझे
इस घोंसले के बाहर,झांकने दो,मुझे
नीला
आसमान----बुला रहा है,मुझे
मुझे,मेरे पंखों की पहचान करनी
है
अपना घोंसला बनाना है,मुझे
पाती में, प्यार के----
भेजता रहूंगा,संदेश
हर एक इंद्रधनुष,नया है
रंग,बे-शक पुराने हों
उनमें से एक इंद्रधनुष,अब
मेरा भी है-----
People are miserable because they have decided to
resist.From this moment,don’t resist,then bliss is as natural as breathing.
सुन्दर कथ्य व सन्देश...
ReplyDeletelearn to leave resistance .... one word is whole life in itself ... but so difficult to understand and even more difficult to follow ... BUT if one learn to follow may be he or she will be OSHO ... but then at that stage who cares to be an OSHO ....
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