क्या फ़र्क पडता है,
तुम वहां पहुंचे
हम, रह गए यहां
कुछ देर बाद,
हम भी होगें वहां
जहां तुम पहुंचे हो
कोई बात नहीं,
गर किताबे-जिन्दगी के
हर्फ़ पढे हैं, तुमने कई
हम तो बस,
कुछ लाइनों से ही
काम चला लेगें
कभी-कभी,हमसफ़र,
साथ शुरू करते हैं,सफ़र
कोई ज़रा ठिठक कर
रह गया बीच में,
कोई सफ़र का---
सफ़रनामा लिख रहा
जिन्दगियों के,
फ़र्क-फ़र्क हलफ़्नामे हैं
कोई लिख रहा,इबारते-जिन्दगी
तो,कि्सी के नसीब में,
फ़कत आई हैं,दो लाइने
सारी उम्र पढ्ने के लिए----
’मन के-मनके
तुम वहां पहुंचे
हम, रह गए यहां
कुछ देर बाद,
हम भी होगें वहां
जहां तुम पहुंचे हो
कोई बात नहीं,
गर किताबे-जिन्दगी के
हर्फ़ पढे हैं, तुमने कई
हम तो बस,
कुछ लाइनों से ही
काम चला लेगें
कभी-कभी,हमसफ़र,
साथ शुरू करते हैं,सफ़र
कोई ज़रा ठिठक कर
रह गया बीच में,
कोई सफ़र का---
सफ़रनामा लिख रहा
जिन्दगियों के,
फ़र्क-फ़र्क हलफ़्नामे हैं
कोई लिख रहा,इबारते-जिन्दगी
तो,कि्सी के नसीब में,
फ़कत आई हैं,दो लाइने
सारी उम्र पढ्ने के लिए----
’मन के-मनके
ये दो लाइने बहुत बढ़िया रहीं!
ReplyDeleteफ़र्क-फ़र्क हलफ़्नामे हैं
ReplyDeleteकोई लिख रहा,इबारते-जिन्दगी
waakai bahut hi achhi rachna hai
उमदा भाव। शुभकामनायें\
ReplyDeleteबहुत गहरी, मन की इबारत।
ReplyDeleteतो,कि्सी के नसीब में,
ReplyDeleteफ़कत आई हैं,दो लाइनें
सारी उम्र पढ्ने के लिए----
-गहरे भाव!!
कहने वालों का कुछ नहीं जाता...सहने वाले कमल करते हैं...
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