कत्ल कर दो फूलों का,गुनाह करे कोई
दो आंसू
भी बेशकीमती हैं,बचाया जाय,खुशियों के लिये
क्योंकि,गमों
के कांटों में,बामुश्किल खिलते हैं,फूल खुशियों के
यकीन पहुंचा दिया, उन हवाओं ने,जो---
बह
आईं,सात समुंदर पार से------कि
खुशबू
पहुंच गई है, इन फूलों की,जो----
दरकते दिल
पर,यूं ही खिल आये थे---- मेरे
मन
के-मनके
गहरी पंक्तियाँ..
ReplyDeleteआंसू तो किसी भी आँख का बेशकीमती है ... उसे मुस्कान में बदल देना चाहिए ...
ReplyDeleteअच्छा लगा आपको इतने लंबे समय बाद दुबारा ब्लॉग पे देख कर ... आशा है आपकी तबीयत ठीक होगी ... नमस्कार ...
Gahan Bhav
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना
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