Wednesday, 23 January 2013

प्रेम-ओशो की नजर में


१.प्रेम-एक प्रतीक्षा है.
 २.प्रेम-एक धन्यता है.
३.प्रेम-एक परपज है.
    ४.-प्रेम-कोई शास्त्र नहीं है.
        ५.प्रेम-कोई परिभाषा नही है.

6 comments:

  1. सच है..प्रेम ही निदान है..

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  2. प्रेम की कोई परिभाषा नहीं. प्रेम के बिना जीवन नहीं.

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  3. प्रेम बस एक प्रेम ही है ... जो निर्मल है .... जीवन है ...
    आशा है आपका स्वस्थ ठीक होगा ...

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  4. प्रेम है शाश्वत निर्मल...

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