१.
दयालुता—एक महक है,जो फैलेगी ही. आएं, इस महक
को फैलने दें.
२.
जाने से पहले—संसार को बेहतर छोड कर जाना चाहते
हैं--- तो दूसरों के प्रित, सह्रृदय बन कर जियें.
३.
सत्य-कर्म,सदैव सत्य-कर्म में ही प्रतिफलित
होते हैं, अतः सत्य-कर्म के बीज को, जीवन–रूपी धरती पर, अंकुरित करते रहें.
४.
प्राप्त करने योग्य—सदैव बांटा जाना चाहिये,
अतः, अपनी तिजोरी खाली करते रहें.
५.
चालाक मनुष्य—संसार को बदलना चाहता है.
विद्वान मनुष्य—स्वम को बदलता है.
मन
के-मनके
बहुत सटीक ..
ReplyDeleteसच्ची बातें।
ReplyDeleteसत्यपरक अमृत वचन...
ReplyDelete