Bikhare hai swarg
Charo...taraf
Kateeli rahon mai
Mahkate pholon ki tarah
Andheri raton me
Timtimate taron ki tarah
Tapati reton par
Bhatakate sapno ki tarah
Bund mutthi se
Fisalte waqt ki tarah
Bikhare hai swarg....
Peeraon ki kokh me
Jivan kulbulate huye
Dhadhakate dino ko
Chandani me sote huye
Bhuk ki aag ko
Roti se thanda karte huye
Ek bhatkate huye ka
Dhruv bante huye
suni goad me
Kilkariya bharte huye
Anath bachpan ko
Anchal se dhakte huye
Bikhre hai swarg.....
Talash ek swarg ki
Bahti nadi ki dhar see
Atrapt pyas ke
Do kinaron kee tarah, nirantar dhar see bah rahi hai
Kinaro ko pane ki chah mai
vismrit kiya insaan ko
Aur do kinaron ke beech
Chhalkata swarg yuhi hee
Hathon se chhitak kar
Najron se Ojhal ho raha
Swarg to janm se nirantar
Sath me bah raha anvrat
Bas hathon ki anjuli me bhar
hothon tak lana hai use
Mudi ankhon me dekhe sapno ki tarah
Khuli ankhon se pana hai use
Bikhare hai swarg charon taraf.....
Charo...taraf
Kateeli rahon mai
Mahkate pholon ki tarah
Andheri raton me
Timtimate taron ki tarah
Tapati reton par
Bhatakate sapno ki tarah
Bund mutthi se
Fisalte waqt ki tarah
Bikhare hai swarg....
Peeraon ki kokh me
Jivan kulbulate huye
Dhadhakate dino ko
Chandani me sote huye
Bhuk ki aag ko
Roti se thanda karte huye
Ek bhatkate huye ka
Dhruv bante huye
suni goad me
Kilkariya bharte huye
Anath bachpan ko
Anchal se dhakte huye
Bikhre hai swarg.....
Talash ek swarg ki
Bahti nadi ki dhar see
Atrapt pyas ke
Do kinaron kee tarah, nirantar dhar see bah rahi hai
Kinaro ko pane ki chah mai
vismrit kiya insaan ko
Aur do kinaron ke beech
Chhalkata swarg yuhi hee
Hathon se chhitak kar
Najron se Ojhal ho raha
Swarg to janm se nirantar
Sath me bah raha anvrat
Bas hathon ki anjuli me bhar
hothon tak lana hai use
Mudi ankhon me dekhe sapno ki tarah
Khuli ankhon se pana hai use
Bikhare hai swarg charon taraf.....
ब्लॉगजगत में इस सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ आपका स्वागत है. निश्चित ही आपका योगदान साधुवाद का पात्र है.
ReplyDeleteकम्प्यूटर पर देवनागरी में लिखना भी उतना ही सरल है जितना की रोमन में. बस, आवश्यक्ता ही कुछ सेटिंग्स की जो कि मैं आपको सूचित करता हूँ अलग से.
आपका ब्लॉग कुछ संकलकों पर (एग्रीगेटर्स) पर शामिल करने के लिए लिख दिया है जो कि अन्य ब्लॉगर्स को आपकी नई प्रविष्टियों की सूचना देते हैं एवं आप भी इन एग्रीगेटर्स पर जाकर अन्य ब्लॉगों के अपडेट देख उन पर जा सकती हैं.
कुछ एग्रीगेटर्स जो अभी उपयोग में हैं:
हमारी वाणी http://www.hamarivani.com/
अपना ब्लॉग http://www.apnablog.co.in/
चिट्ठाजगत http://www.chitthajagat.in/ (फिलहाल डाउन है)
------
नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाएँ.
ब्लॉगजगत में इस सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteब्लॉगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
Adarniye Mummy,
ReplyDeleteBahut achcha lagaa padke apki pehli post. Bas isi tarah se apne vicharon ko shabdon mein utariye.
Looking forward to more.
Best regards,
Sanjeev
बहुत ही सुन्दर रचना है. कोशिश कर देवनागरी में लिखें तो भाव और भाषा का संगम इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा देगा.
ReplyDeleteआपका स्वागत है.
आपकी कविता रोमन में पढ़ने में कष्ट हुआ पर पढ़कर वह कष्ट चला गया।
ReplyDeleteकविता सुंदर है। आशा है शीघ्र ही देवनागरी में भी पढ़ने को मिलेगी। जब तक कुछ न हो गूगल ट्रांसलिटरेशन में लिख कर यहाँ पेस्ट की जा सकती है। स्वयं ब्लॉगर में भी रोमन से देवनागरी लिखने की सुविधा उपलब्ध है। आप उस का उपयोग कर सकती हैं।
ReplyDeleteआप को वर्ड वेरीफिकेशन भी हटा देना चाहिए।
एक निवेदन:
ReplyDeleteदिनेश जी के कहे अनुसार, कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये- बहुतों को कमेंट करने में सुविधा हो जायेगी:
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.
आपका स्वागत है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....रोमन में है परन्तु कविता बहुत सुन्दर है...
धन्यवाद..
बहुत सुंदर और सशक्त भावों को अभिव्यक्त किया है, आशा है जल्द ही देवनागरी में आपकी रचनाओं का आनंद लेने का मौका मिलेगा. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
स्वागत है आपका।
ReplyDeleteसही लिखा है आपने, स्वर्ग तो चारों तरफ़ बिखरे पड़े हैं बस देखने वाली आंख होनी चाहिये।
वही आशा, जो सब कर रहे हैं कि शीघ्र ही हिन्दी में रचनायें देखने को मिलेंगी।
आभार।
बहुत अच्छी रचना ..... ब्लॉग्गिंग की दुनिया में आपका स्वागत .....
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना स्वागत है
ReplyDeleteregards
Bikhare Hai Swarg कविता बहुत अच्छी लगी ।
ReplyDeleteआपकी कविता बहुत अच्छी है. पढ़ने के बाद बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteबस इस तरह लिखते रहो.
सुस्वागतम...
ReplyDeleteऐसे ही मनकों की माला से हमें निरंतर जपाते रहिएगा...
जय हिंद..
बिखरे हैं स्वर्ग चारों तरफ...
ReplyDeleteखूबसुरत प्रस्तुति.
थोडे से अभ्यास से आप इसे हिन्दी में भी लिख सकेंगी और तब बहुसंख्यक हिन्दीभाषी पाठक आपकी रचनाओं का निर्विघ्न आनन्द ले सकेंगे । शुभकामनाओं सहित...
नजरिया ब्लाग में "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" भी अवश्य देखिये-
http://najariya.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html
धन्यवाद...
पीडाओं की कोख मे
ReplyDeleteजीवन कुलबुलाते हुये--- पँक्तियाँ बहुत अच्छी लगी लेकिन तलाश है फिर भी एक स्वर्ग की । आपका स्वागत है बहुत अच्छा लिखते हैं। लिखते रहें। अगर हिन्दी लिखने मे कुछ समस्या है तो cafehini.com par jaayeM samasyaa sulajh jaayegee
\कैफे हिन्दी टाईपिन्ग टूल से आप आन लाईन आफ लाईन , गी मैल याहू मेल म कहीं भी लिख सकते हैं वर्क पैड पर आफ लाईन भी लिख सकते हैं। यूनिकोड मे मुझे इस से अच्छा टूल नही मिला। शुभकामनायें।
ब्लोग जगत में आपका स्वागत है.... इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई.... लिखते रहिये
ReplyDeleteस्वागत है,आपका इस शब्दों की दुनिया में !लगता है इस क्षेत्र मैं आप भी मेरे जैसी अनाड़ी हैं .कुछ भले लोगों की सहायता से सब हो जाता है -चिन्ता न करें .मेरी तो महीनों किसी से बात-चीत ही नहीं हुई थी .
ReplyDeleteअरे, आपका नाम तो मुझे मालूम ही नहीं ,कैसे संबोधित करूँ ?और थोड़ा-सा परिचय भी ,जिससे बात करने में सहजता और सुविधा रहे .
कविता बहुत सुन्दर है .सचमुच स्वर्ग के टुकड़े यहाँ भी बिखरे हैं ,ढूँढने और सँजोनेवाला चाहिये .
देवनागरी में लिखना बहुत आसान है.आशा है जल्दी ही फिर आपकी रचना मिलेगी .
शुभ-कामनाएँ !
(इससे पहले एक पोस्ट आपको लिखी थी ,पता नहीं कहाँ ग़ायब हो गई)
ब्लोगिंग की दुनिया में स्वागत है!!
ReplyDeleteकाफी अच्छी लगी कविता...
उम्मीद है आगे आपकी और भी अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी..
शुभकामनाएं...
bahut sundar kavita , man ke bhaavo ko acche se ujaagar karte hue ..
ReplyDeleteaapka swagat hai blog jagat me ..
dhanywaad.
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
स्वागत है आपका....।
ReplyDeleteWelcome
ReplyDeleteMummy
स्वागत है आपका ... बहुत ही भावौक ... संवेदनशील अभिव्यक्ति है ...
ReplyDeletesuswagatam
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना.
ब्लॉगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है!
ReplyDeleteMUN KE MOTI APNEE BHARPOOR CHAMAK - DAMAK
ReplyDeleteFAILAAYEN . KAVITA MUN KO CHHOOTEE HAI .
BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत ... इस बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई और धन्यवाद ... आपकी यह सुन्दर रचना कल चर्चामंच पर होगी... आपका आभार ...
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com
ब्लॉगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
बहुत खूबसूरत रचना ...सकारात्मक सोच लिए हुए ...सब कुछ है यहाँ बस इंसान की इच्छाएं खत्म नहीं होतीं ...और जो पास होता है उसमें संतुष्ट नहीं होता ...वरना तो स्वर्ग है हमारे चारों ओर ...
ReplyDeleteआपकी रचना को देवनागरी में लिख दिया है ..
बिखरे हैं स्वर्ग
चारों ..तरफ
कटीली राहों में
महकते फूलों की तरह
टिमटिमाते तारों की तरह
तपती रेतों पर
भटकते सपनों की तरह
बंद मुट्ठी से
फिसलते वक्त की तरह
बिखरे हैं स्वर्ग
पीडाओं की कोख में
जीवन कुलबुलाते हुए
धधकते दिनों को
चांदनी में सोते हुए
भूख की आग को
रोटी से ठंडा करते हुए
एक भटकते हुए का
ध्रुव बनाते हुए
सूनी गोद में
किलकारियां भरते हुए
अनाथ बचपन को
आँचल से ढकते हुए
बिखरे हैं स्वर्ग
तलाश एक स्वर्ग की
बहती नदी की धार सी
अतृप्त प्यास के
दो किनारों की तरह
निरंतर धार सी बह रही है
किनारों को पाने की चाह में
विस्मृत किया इंसान को
और दो किनारों के बीच
छलकता स्वर्ग यूँ ही है
हाथों से छिटक कर
नज़रों से ओझल हो रहा
स्वर्ग तो जन्म से निरन्तर
साथ में बह रहा अनवरत
बस हाथों की अंजुली में भर
हाथों तक लाना है उसे
मुंदी आँखों में देखे सपनों की तरह
खुली आँखों से पाना है उसे
बिखरे हैं स्वर्ग चारों तरफ
@ संगीता जी
ReplyDeleteअब देखिये, देवनागरी में पढ़ने का आनन्द ही आ गया...बहुत आभार आपका.
मन के मनके
ReplyDeleteमनके हैं मन के
आते हैं झन के
झन झन के
रून झुन करके
रिमझिम बरसते
मन में सबके
खुशी के मनके
चहकते चारों ओर
चहचहाती हैं चिडि़यां
होती है जब भोर
मनके ही मन के
बिखरे हैं हर ओर
समेटें न मन में
बिखार दें मन में
मनके सबके।
हिन्दी ब्लॉगरूपी मनके हिन्दी के उर में सदा रहें महकते।
बहुत बहुत आभार समीर भाई...
ReplyDeleteयह सुन्दर लेखन हिन्दी ब्लॉग जगत को प्रतिष्ठा दिलवाएगा...आभार आपका जो आपने इन्हें प्रोत्साहित किया और इन्हें पढने का सुअवसर हमें दिया...
अतिशय आनंद आया पढ़कर...बेजोड़ लेखन है इनका...
कृपया लेखन अबाधित रखें...
सतत सुन्दर लेखन के लिए अनंत शुभकामनाएं...
मैं सोच ही रही थी की देवनागरी में इसे रिटाईप करके दे दूँ,की देखा संगीता दी ने पहले ही यह कर दिया...इन्हें भी आभार...
ब्लॉगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
अभी सोच ही रही थी कि हिन्दी मे लिखा जाये तो देखा नीचे संगीता दी ने लिख ही दी है……………एक बेहद उम्दा सोच की परि्चायक है ये कविता।
इसी प्रकार लिखते रहें।
मेरे सह-ब्लोगर,साभार,धन्यवाद,
ReplyDeleteआज करीब-करीब तीन वर्ष पूरे हो रहे है--मन के-मनके में कुछ मोती पिरोते हुए.
आप सभी ने जो मुझे आशा और अभिलाषाओं की पतवार मेरे हाथों में थमा दी,और मैं खेने लगी लेखनी की नाव---कितना अप्रत्याशित रहा यह सफर---शब्द नहीम हैं मेरे पास और ना ही अब शब्दों की जरूरत है,भावों की धारा बह रही है--और मैं बहती जारही हूं,ईश्वर से प्रर्थना है आप सब के दो शब्दों के फूल मेरी नाव में आपकी अनुकम्पा से गिरते रहेःऔर अनुभूतियों के महासागर में यह यात्रा एक दिन विलीन हो जाए---उस विराट में जहां से पुनः यात्रा शुरू होती हैं---यही चक्र है---इस जगत का.
क्षमा करें,कुछ नहीं बहुत ही देरी से आपके भावों को पढने में समर्थ हो पाई,कारण तकनीकी अनाणीपन.