Tuesday, 22 February 2011

Bikhare Hai Swarg

Bikhare hai swarg
Charo...taraf
          Kateeli rahon mai
          Mahkate pholon ki tarah
          Andheri raton me
          Timtimate taron ki tarah
                     Tapati reton par
                      Bhatakate sapno ki tarah
                      Bund mutthi se
                      Fisalte waqt ki tarah
Bikhare hai swarg....

           Peeraon ki kokh me
           Jivan kulbulate huye
           Dhadhakate dino ko
           Chandani me sote huye
                  Bhuk ki aag ko
                  Roti se thanda karte huye
                  Ek bhatkate huye ka
                  Dhruv bante huye
                        suni goad me
                        Kilkariya bharte huye
                        Anath bachpan ko
                        Anchal se dhakte huye
Bikhre hai swarg.....
    Talash ek swarg ki
    Bahti nadi ki dhar see
    Atrapt pyas ke
    Do kinaron kee tarah, nirantar dhar see bah rahi hai
              Kinaro ko pane ki chah mai
              vismrit kiya insaan ko
              Aur do kinaron ke beech
              Chhalkata swarg yuhi hee
               Hathon se chhitak kar
               Najron se Ojhal ho raha
                           Swarg to janm se nirantar
                           Sath me bah raha anvrat
                           Bas hathon ki anjuli me bhar
                           hothon tak lana hai use
                           Mudi ankhon me dekhe sapno ki tarah
                           Khuli ankhon se pana hai use
Bikhare hai swarg charon taraf.....  














                       


37 comments:

  1. ब्लॉगजगत में इस सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ आपका स्वागत है. निश्चित ही आपका योगदान साधुवाद का पात्र है.

    कम्प्यूटर पर देवनागरी में लिखना भी उतना ही सरल है जितना की रोमन में. बस, आवश्यक्ता ही कुछ सेटिंग्स की जो कि मैं आपको सूचित करता हूँ अलग से.

    आपका ब्लॉग कुछ संकलकों पर (एग्रीगेटर्स) पर शामिल करने के लिए लिख दिया है जो कि अन्य ब्लॉगर्स को आपकी नई प्रविष्टियों की सूचना देते हैं एवं आप भी इन एग्रीगेटर्स पर जाकर अन्य ब्लॉगों के अपडेट देख उन पर जा सकती हैं.

    कुछ एग्रीगेटर्स जो अभी उपयोग में हैं:

    हमारी वाणी http://www.hamarivani.com/

    अपना ब्लॉग http://www.apnablog.co.in/

    चिट्ठाजगत http://www.chitthajagat.in/ (फिलहाल डाउन है)


    ------


    नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाएँ.

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  2. ब्लॉगजगत में इस सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ आपका स्वागत है.

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  3. ब्लॉगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है!
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  4. Adarniye Mummy,

    Bahut achcha lagaa padke apki pehli post. Bas isi tarah se apne vicharon ko shabdon mein utariye.

    Looking forward to more.

    Best regards,
    Sanjeev

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना है. कोशिश कर देवनागरी में लिखें तो भाव और भाषा का संगम इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा देगा.

    आपका स्वागत है.

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  6. आपकी कविता रोमन में पढ़ने में कष्ट हुआ पर पढ़कर वह कष्ट चला गया।

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  7. कविता सुंदर है। आशा है शीघ्र ही देवनागरी में भी पढ़ने को मिलेगी। जब तक कुछ न हो गूगल ट्रांसलिटरेशन में लिख कर यहाँ पेस्ट की जा सकती है। स्वयं ब्लॉगर में भी रोमन से देवनागरी लिखने की सुविधा उपलब्ध है। आप उस का उपयोग कर सकती हैं।
    आप को वर्ड वेरीफिकेशन भी हटा देना चाहिए।

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  8. एक निवेदन:

    दिनेश जी के कहे अनुसार, कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये- बहुतों को कमेंट करने में सुविधा हो जायेगी:

    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:

    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.

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  9. आपका स्वागत है...
    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....रोमन में है परन्तु कविता बहुत सुन्दर है...
    धन्यवाद..

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  10. बहुत सुंदर और सशक्त भावों को अभिव्यक्त किया है, आशा है जल्द ही देवनागरी में आपकी रचनाओं का आनंद लेने का मौका मिलेगा. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. स्वागत है आपका।
    सही लिखा है आपने, स्वर्ग तो चारों तरफ़ बिखरे पड़े हैं बस देखने वाली आंख होनी चाहिये।
    वही आशा, जो सब कर रहे हैं कि शीघ्र ही हिन्दी में रचनायें देखने को मिलेंगी।
    आभार।

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  12. बहुत अच्छी रचना ..... ब्लॉग्गिंग की दुनिया में आपका स्वागत .....

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  13. बेहद सुन्दर रचना स्वागत है
    regards

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  14. Bikhare Hai Swarg कविता बहुत अच्छी लगी ।

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  15. आपकी कविता बहुत अच्छी है. पढ़ने के बाद बहुत अच्छा लगा.
    बस इस तरह लिखते रहो.

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  16. सुस्वागतम...

    ऐसे ही मनकों की माला से हमें निरंतर जपाते रहिएगा...


    जय हिंद..

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  17. बिखरे हैं स्वर्ग चारों तरफ...
    खूबसुरत प्रस्तुति.
    थोडे से अभ्यास से आप इसे हिन्दी में भी लिख सकेंगी और तब बहुसंख्यक हिन्दीभाषी पाठक आपकी रचनाओं का निर्विघ्न आनन्द ले सकेंगे । शुभकामनाओं सहित...
    नजरिया ब्लाग में "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" भी अवश्य देखिये-
    http://najariya.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html
    धन्यवाद...

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  18. पीडाओं की कोख मे
    जीवन कुलबुलाते हुये--- पँक्तियाँ बहुत अच्छी लगी लेकिन तलाश है फिर भी एक स्वर्ग की । आपका स्वागत है बहुत अच्छा लिखते हैं। लिखते रहें। अगर हिन्दी लिखने मे कुछ समस्या है तो cafehini.com par jaayeM samasyaa sulajh jaayegee
    \कैफे हिन्दी टाईपिन्ग टूल से आप आन लाईन आफ लाईन , गी मैल याहू मेल म कहीं भी लिख सकते हैं वर्क पैड पर आफ लाईन भी लिख सकते हैं। यूनिकोड मे मुझे इस से अच्छा टूल नही मिला। शुभकामनायें।

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  19. ब्लोग जगत में आपका स्वागत है.... इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई.... लिखते रहिये

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  20. स्वागत है,आपका इस शब्दों की दुनिया में !लगता है इस क्षेत्र मैं आप भी मेरे जैसी अनाड़ी हैं .कुछ भले लोगों की सहायता से सब हो जाता है -चिन्ता न करें .मेरी तो महीनों किसी से बात-चीत ही नहीं हुई थी .
    अरे, आपका नाम तो मुझे मालूम ही नहीं ,कैसे संबोधित करूँ ?और थोड़ा-सा परिचय भी ,जिससे बात करने में सहजता और सुविधा रहे .
    कविता बहुत सुन्दर है .सचमुच स्वर्ग के टुकड़े यहाँ भी बिखरे हैं ,ढूँढने और सँजोनेवाला चाहिये .
    देवनागरी में लिखना बहुत आसान है.आशा है जल्दी ही फिर आपकी रचना मिलेगी .
    शुभ-कामनाएँ !
    (इससे पहले एक पोस्ट आपको लिखी थी ,पता नहीं कहाँ ग़ायब हो गई)

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  21. ब्लोगिंग की दुनिया में स्वागत है!!
    काफी अच्छी लगी कविता...
    उम्मीद है आगे आपकी और भी अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी..
    शुभकामनाएं...

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  22. bahut sundar kavita , man ke bhaavo ko acche se ujaagar karte hue ..

    aapka swagat hai blog jagat me ..

    dhanywaad.
    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  23. स्वागत है आपका....।

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  24. स्वागत है आपका ... बहुत ही भावौक ... संवेदनशील अभिव्यक्ति है ...

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  25. हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
    सुन्दर भावपूर्ण रचना.

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  26. ब्लॉगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है!

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  27. MUN KE MOTI APNEE BHARPOOR CHAMAK - DAMAK
    FAILAAYEN . KAVITA MUN KO CHHOOTEE HAI .
    BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .

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  28. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत ... इस बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई और धन्यवाद ... आपकी यह सुन्दर रचना कल चर्चामंच पर होगी... आपका आभार ...
    http://charchamanch.blogspot.com

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  29. ब्लॉगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है!
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  30. बहुत खूबसूरत रचना ...सकारात्मक सोच लिए हुए ...सब कुछ है यहाँ बस इंसान की इच्छाएं खत्म नहीं होतीं ...और जो पास होता है उसमें संतुष्ट नहीं होता ...वरना तो स्वर्ग है हमारे चारों ओर ...

    आपकी रचना को देवनागरी में लिख दिया है ..

    बिखरे हैं स्वर्ग
    चारों ..तरफ
    कटीली राहों में
    महकते फूलों की तरह
    टिमटिमाते तारों की तरह

    तपती रेतों पर
    भटकते सपनों की तरह
    बंद मुट्ठी से
    फिसलते वक्त की तरह
    बिखरे हैं स्वर्ग

    पीडाओं की कोख में
    जीवन कुलबुलाते हुए
    धधकते दिनों को
    चांदनी में सोते हुए

    भूख की आग को
    रोटी से ठंडा करते हुए
    एक भटकते हुए का
    ध्रुव बनाते हुए
    सूनी गोद में
    किलकारियां भरते हुए
    अनाथ बचपन को
    आँचल से ढकते हुए
    बिखरे हैं स्वर्ग

    तलाश एक स्वर्ग की
    बहती नदी की धार सी
    अतृप्त प्यास के
    दो किनारों की तरह
    निरंतर धार सी बह रही है

    किनारों को पाने की चाह में
    विस्मृत किया इंसान को
    और दो किनारों के बीच
    छलकता स्वर्ग यूँ ही है
    हाथों से छिटक कर
    नज़रों से ओझल हो रहा

    स्वर्ग तो जन्म से निरन्तर
    साथ में बह रहा अनवरत
    बस हाथों की अंजुली में भर
    हाथों तक लाना है उसे
    मुंदी आँखों में देखे सपनों की तरह
    खुली आँखों से पाना है उसे
    बिखरे हैं स्वर्ग चारों तरफ

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  31. @ संगीता जी

    अब देखिये, देवनागरी में पढ़ने का आनन्द ही आ गया...बहुत आभार आपका.

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  32. मन के मनके
    मनके हैं मन के
    आते हैं झन के
    झन झन के
    रून झुन करके
    रिमझिम बरसते
    मन में सबके
    खुशी के मनके
    चहकते चारों ओर
    चहचहाती हैं चिडि़यां
    होती है जब भोर
    मनके ही मन के
    बिखरे हैं हर ओर
    समेटें न मन में
    बिखार दें मन में
    मनके सबके।

    हिन्‍दी ब्‍लॉगरूपी मनके हिन्‍दी के उर में सदा रहें महकते।

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  33. बहुत बहुत आभार समीर भाई...
    यह सुन्दर लेखन हिन्दी ब्लॉग जगत को प्रतिष्ठा दिलवाएगा...आभार आपका जो आपने इन्हें प्रोत्साहित किया और इन्हें पढने का सुअवसर हमें दिया...
    अतिशय आनंद आया पढ़कर...बेजोड़ लेखन है इनका...

    कृपया लेखन अबाधित रखें...
    सतत सुन्दर लेखन के लिए अनंत शुभकामनाएं...


    मैं सोच ही रही थी की देवनागरी में इसे रिटाईप करके दे दूँ,की देखा संगीता दी ने पहले ही यह कर दिया...इन्हें भी आभार...

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  34. ब्लॉगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है!
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

    अभी सोच ही रही थी कि हिन्दी मे लिखा जाये तो देखा नीचे संगीता दी ने लिख ही दी है……………एक बेहद उम्दा सोच की परि्चायक है ये कविता।
    इसी प्रकार लिखते रहें।

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  35. मेरे सह-ब्लोगर,साभार,धन्यवाद,
    आज करीब-करीब तीन वर्ष पूरे हो रहे है--मन के-मनके में कुछ मोती पिरोते हुए.
    आप सभी ने जो मुझे आशा और अभिलाषाओं की पतवार मेरे हाथों में थमा दी,और मैं खेने लगी लेखनी की नाव---कितना अप्रत्याशित रहा यह सफर---शब्द नहीम हैं मेरे पास और ना ही अब शब्दों की जरूरत है,भावों की धारा बह रही है--और मैं बहती जारही हूं,ईश्वर से प्रर्थना है आप सब के दो शब्दों के फूल मेरी नाव में आपकी अनुकम्पा से गिरते रहेःऔर अनुभूतियों के महासागर में यह यात्रा एक दिन विलीन हो जाए---उस विराट में जहां से पुनः यात्रा शुरू होती हैं---यही चक्र है---इस जगत का.
    क्षमा करें,कुछ नहीं बहुत ही देरी से आपके भावों को पढने में समर्थ हो पाई,कारण तकनीकी अनाणीपन.

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