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Monday, 20 October 2014

नुक्ता-चीनी—




पता नहीं इस शब्द का वास्तिविक अर्थ क्या है—निःसंदेह बोलने में मधुर लगता है,जैसे रुन-झुन,झन-झन---
खैर---जाने दें इन छोटी-छोटी बातों को.
कल ही लौट रही थी खटीमा से जहां’ ’बाल साहित्य’ गोष्ठी का आयोजन ’बाल कल्याण साहित्य संस्थान’ की ओर से आयोजित ’अंतराष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन’ का आयोजन दिनांक १८ एवं १९ अक्टूबर २०१४ खटीमा उत्तराखंड में आयोजित किया गया.
यह मेरा सौभाग्य रहा कि हमारे वरिष्ठ ब्लोगर श्री रूप चन्द्र शास्त्री ’मयंक’ जी के आग्रह पर मैं इस सम्मान को पा सकी.
अन्यथा,कुए के मेढक की तरह मेरी लेखनी कुए की दीवारों से टकराती रहती.
अब, यह आंकलन मेरे लिये कठिन ही है—कि इस सम्मान के लिये मेरी योग्यता थी भी या नहीं.
खटीमा में ’खटीमा फाइबर्’, के प्रांगण में इस साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया.
वहां के निवास,आतिथ्य,प्रेम,स्नेह की स्मृतियां एक ऐसी धरोहर है जिसे नित ही सींचते रहना होगा.
मैं सभी महानुभावों को जो इस आयोजन से किसी भी स्तर पर जुडे थे उनके प्रति दिल से आभारी हूं व मेरा उन सभी को सादर आभार.
विशेष---हमारे आदरीणय श्री रूप चन्द्र शास्त्री ’मयंक’ जी को सादर आभार—स्नेह के साथ.
इन पंक्तियों के साथ---
                    एक निमंत्रण मेरा भी है
                    कर लेना स्वीकार इसे
                    आ जाना इससे पहले
                    सूखें----बंदनवार मेरे
                                          
मन के-मनके