पीले फूलों वाला घर
घर बे-आवाज , बे- जान अहसास नहीं है.
एक, एक कोना बोलता है.
एक,एक खिड़की को इंतज़ार है कि, अब खुले कि, कब कोइ पास खड़ा हो किसी के इंतज़ार में कि, दरवाजे भी आतुर रहते हैं, खुलने के लिए.
किसी का इंतज़ार , उन्हें भी है ,और वो पीले फूल महकते हैं, किसी के लिए.
मैं, पीले फूलों वाला घर हूँ .
पूरब के कोने में
तुलसी का बिरवा है
बिरवे में दीये का साया है
साए में जीवन की गाथा है
मैं, पीले फूलों वाला घर हूँ.
घर की दीवारें पीली हैं
दीवारों पर लाल कंगूरे हैं
लाल कंगूरों से लिपटी
अंगूरों की बेलें हैं
मैं, पीले फूलों वाला घर हूँ.
साँसों के अहसास भरे
घर में कुछ कमरे हैं
एक कमरा खाली है
एक साया अहसासी है
मैं, पीले फूलों वाला घर हूँ.
दीवारों से सिमटे
जाली के दरवाजे हैं
दरवाजों से सिमटी आँखों में
सिमटी, कल की आशाएं हैं
मैं, पीले फूलों वाला घर हूँ.
बहुत ही शानदार !
ReplyDelete