समस्या यह नहीं है ,हम क्या सोचते हैं -
बात वहां बिगड़ती है ,जब हम अपनी सोच को दूसरों पर थोपते हैं और उम्मीद भी करते हैं ,वे हमारे जैसे हो जाऐं ,बात बतंगड़ हो जाती है।
बात वहां बिगड़ती है ,जब हम अपनी सोच को दूसरों पर थोपते हैं और उम्मीद भी करते हैं ,वे हमारे जैसे हो जाऐं ,बात बतंगड़ हो जाती है।
No comments:
Post a Comment