शुभप्रभात मित्रों,
सुबह-सुबह ही लिख पाती हूं,
कुछ कह पाती हूं-
’कोटेज एंड केफ़े’ एक संकलन
हिंदी कविताओं का,’ अनुराग’ की बातें-
दिल की बातें—
एक कविता चुनी है-
’विरोधाभास’—
’बदलाव मैं चाहता हूं
पर,किसी को बदलना नही
----
जैसे कोई सूरज को चाहे
जलना नहीं--
और—
’जहां मैं हूं---
मैं विरोधाभास ही तो,
मैं ही हूं--इसलिये कि,
विरोधाभास
सरलता से कही गयी, गहरी बात!!
वैसे तो जीवन से लेकर मृत्यु तक-
सुबह से लेकर शाम तलक-
हर बात से लकर हर बात तलक-
विरोधाभास की छांव-धूप बिखरी हुई है.
कही जीवन की कुलबुलाहट तो कहीं
म्रूत्यु का क्रंदन,आंसुओं के सैलाब तो
मुस्कुराहटों के इंद्रधनुष—
यही है जीवन—और यहीं हैं हम!
थोडे से शब्दों में,बगैर छंद-तुक में बंधे
अपनी बात कह दी—और
एक बात कह दी, जो सभी की है.
’जहां मैं हूं—
वहां विरोधाभास है—
मैं ही तो---
विरोधाभास हूं—’
सुंदर!!!
े
अनुराग गुप्ता: केेफ़े एंड कोटेज,एक संकल हिंदी कविताओं का.
मेरी शुभकामनाए सदैव साथ हैं.
ReplyDeleteSUNDAR
ReplyDeleteएहसासों को बखूबी उतारा है शब्दों में....
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ReplyDeleteधन्यवाद...)