Saturday, 11 January 2025

हम सभी बेचैन से हैं न

अभी कुछ दिनों से मैं अपनी कजिन के घर आई हुई हूं, वजह कुछ खास नहीं बस अपनी खामखाह की बैचेनी को की कुछ कम करने का इरादा था और अपने मन को हल्का करना था।
अब वापस अपने घर जा रही हूं मन को भारी करके बैचेनी को बढ़ा कर, और घर को अकेला छोड़ के उसके अकेलेपन को ओढ कर घर लौट रही हूं।