Wednesday 17 August 2022


                                             साधारण   होने   का  चमत्कार 

          झेन  गुरुओं की  एक  अनूठी परंपरा रही है बुद्ध के समाकालीन जो मुख्यत  जापान में 

         विकसित हुई.
          झेंन  गुरू अद्भुत होते थे  सभी परंपराओं से परे,सभी विश्वासों को  खंडित कर  साधारण होने विश्वास रखते थे .
        उनकी  पूरी कि पूरी आस्था साधारण होने में होती हुई   सभी  अहंकारों  के  बांध  को  तोड़ती  हुई नदी के सहज,सुगम प्रवाह  में परिवर्तित हो जाती  है.
     यही गूढ़  रहस्य सभी  अध्यात्मिक  आधारों का  है लेकिन अहंकार से मंडित  होने  की  शाश्वत आकांक्षा  के कारण  कितने अंधविश्वासों के कुकुरमुत्ते उग  आए  हैं जो हमें  साधारण रहने  नहीं देती  और  मानव  जाति सदियों से  अपने  ही  बनाए  अहंकारों  की  जंजीरों में  जन्मा से मृत्यु तक जकड़ा रहता है .
    

आइये  एक  छोटी  सी  कथा के  माध्यम  से  उनकी  धारणाओं को साधारण होने  की  कला के  चित्र  को निहारें,कुछ  पल------

एक  दिन  झेंन  गुरू  बांके  अपने  कुछ शिष्यों के  साथ  नदी किनारे  बैठ  कर  कुछ चर्चा,परिचर्चा कर रहे 

थे,उसी  समय  दूसरे  पंथ  के एक  गुरू  वहां  आए  और  शेखी   बघारने  लगे---हमारे  गुरू  नदी  के  इस पार हाथ  में  ब्रश  लेकर  नदी  के  उस  पार खड़े आदमी  के  हाथ  में लिए केनवास पर  चित्र  बना  सकते  हैं,

आप  क्या  कर  सकते  हैं  क्या कोई  ऐसा चमत्कार  कर सकते  हैं  ?

झेंन  गुरू  बांके ने सहजता  से  उत्तर  दिया----

मैं तो  केवल  एक  चमत्कार  जानता  हूँ , जब  भूख  लगती  है  खाना  खा  लेता  हूँ  ,जब प्यास  लगती  है पानी  पी  लेता  हूँ,  जब  नींद  आने  लगती  है, सो  जाता  हूँ.

 कोइ  साधारण होना  नहीं  चाहता  . उसका अहंकार  उसे  साधारण होने नहीं  देता.


ओशो  से  उद्धारित  एक  झेन  कथा.



4 comments:

  1. आज सब विशेष होना चाहते हैं । बेहतरीन कथा से परिचय कराया ।।

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