Sunday, 17 October 2021

             

                                                         कोई  तो  है---                                                        

              १. हम  एक  प्रोग्राम  हैं जो  किसी  अदृश्य  कमप्यूटर  पर  डाउन लोडेड  हैं.                 

              २. 'कौन'  है  वह  जो हमें  कोड़ा-डिकोड-डिलीट कर  रहा  है?

               ३. क्यों कर  रहा  है?


                ४,  जिस यन्त्र  पर  कर  रहा  है  वह  कैसा  दिखता  है--

                      विशाल, सूक्ष्म, अदृश्य ,माया,अमाया  या कि,  जादू  की  पुडिया?  

             हम  सभी  के  मन  में  ऐसे  विचार कभी  ना कभी  उठाते रहे  होंगे,समुद्र  की  लहरों  की  भांति--

               क्योंकि,  हम सभी  एक ही  महासागर  की  उठती, गिरती लहरें हैं.


                  दूसरा  पन्ना  पलटते  हैं--

        १. यह  निश्चित दिखता है--हम सब बुद्ध नहीं हो सकते और एक से अधिक भी नहीं  हो  सकते.

        २. यह भी  निश्चित  दिखता  है  कि--हम  सभी  अंगुलिमाल भी  नहीं  हो  सकते  हैं  वह दस्यु  जो  मानव-ह्त्या 

            कर  उनकी  अँगुलियों  की  माला  गले  से  उतार  कर ---बुद्ध के  चरणों  में  बैठ  सका.

            हममें  से कई  भी  अंगुलिमाल  नहीं  हो  सकते  हैं.

          मैंने  स्वम  से  पूछा----अशोक  के  सन्दर्भ  में---

  १.   जब  इतना  विशाल  साम्राज्य था  तो,कलिंग  पर  आक्रमण क्यों?

   २.  बुद्ध  की  शरण  में   आना  था  तो  सीधे  रास्ते  चल  कर  क्यों  ना  आ  गए--अशोक?

         मैंने  स्वम  ही  अपने  प्रश्नों  के उत्तर  यूं   दिए---

      १.  जब  तलक  विनाश  लीला  ना  होगी,  सृजन   ना  होगा   कभी.

      २. 'बीज'  चाहे  कर्म   का  हो  या  विचार  का, बगैर तपिश  ,बगैर  अन्धकार  के फूटते नहीं  हैं.

           तभी,  सत्कर्म  के  फूल  खिलते  हैं.

          पुण्य  के  विचार  महकते  हैं.







 




         १.







                                                                   


4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 19 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. शुभप्रभात,धन्यवाद.

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  3. बहुत ही बेहतरीन

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  4. शुभप्रभात ,धन्यवाद

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