साधारण होने का चमत्कार
झेन गुरुओं की एक अनूठी परंपरा रही है बुद्ध के समाकालीन जो मुख्यत जापान में
आइये एक छोटी सी कथा के माध्यम से उनकी धारणाओं को साधारण होने की कला के चित्र को निहारें,कुछ पल------
एक दिन झेंन गुरू बांके अपने कुछ शिष्यों के साथ नदी किनारे बैठ कर कुछ चर्चा,परिचर्चा कर रहे
थे,उसी समय दूसरे पंथ के एक गुरू वहां आए और शेखी बघारने लगे---हमारे गुरू नदी के इस पार हाथ में ब्रश लेकर नदी के उस पार खड़े आदमी के हाथ में लिए केनवास पर चित्र बना सकते हैं,
आप क्या कर सकते हैं क्या कोई ऐसा चमत्कार कर सकते हैं ?
झेंन गुरू बांके ने सहजता से उत्तर दिया----
मैं तो केवल एक चमत्कार जानता हूँ , जब भूख लगती है खाना खा लेता हूँ ,जब प्यास लगती है पानी पी लेता हूँ, जब नींद आने लगती है, सो जाता हूँ.
कोइ साधारण होना नहीं चाहता . उसका अहंकार उसे साधारण होने नहीं देता.
ओशो से उद्धारित एक झेन कथा.
व्वाहहहहहह
ReplyDeleteआज सब विशेष होना चाहते हैं । बेहतरीन कथा से परिचय कराया ।।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद
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