Saturday, 25 September 2021

एहसास दोस्ती का

                                                          एहसास दोस्ती का

आज दोस्ती के मायने बदल गए हैं आज दोस्ती के मकसद होते हैं मकसद पूरा होने पर दोस्ती के मतलब बदल जाते हैं
न जाने कहाँ खो गया वो दोस्ती का एहसास जो बचपन में हुआ करता था निश्छल और निष्कपट,
दोस्तों से लड़ते झगड़ते फिर एक हो जाते |
ऐसे ही कुछ एहसासों को मेने अपनी इस विडिओ के माध्यम से कहने की कोशिश की है,
उम्मीद कराती हूँ आपको ज़रूर पसंद आएगी

Tuesday, 7 September 2021

                                        

                                            बिखरे हैं-- स्वर्ग  चारों तरफ

अक्सर जीवन में बहुत कुछ,बहुत ख़ूबसूरत बंधी मुट्ठी से  यूं सरक जाता है कि,

 हम उसकी आवाज भी नहीं सुन पाते हैं--और पास फैले इन्द्राधानुष को दूर कहीं क्षितिज में, उसे  पाने की कोशिश करते रहते हैं.

क्या अपनी छट के साए में जी पाना स्वर्ग नहीं है?

क्या दो पहर सम्मान का भोजन मिला पाना स्वर्ग नहीं है?

क्या दो व्यक्तित्व अपनी,अपानी निजता को साधे हुए एक होकर जीवन यात्रा में सहयात्री हो पाएं--स्वर्ग नहीं है?

क्या,

घर में बच्चों की किलकारियां को वयस्क होता देखा पाना स्वर्ग नहीं है?

और--हम उम्र के उस पड़ाव तक पहुंच पाए हों-कि, वंश के तीसरे पायदान पर खड़े हो उनकी साज-सवांर में अपना भी योगदान दे पा रहे हों--बेशक अपनी मौजूदगी का--स्वर्ग नहीं है?

बचपन  की कुछ बेहतरीन यादें हमारे पास हों,जिन्हें याद करके हम मुस्कुरा उठे हों,जब,

कभी,स्वर्ग नहीं है ?

और--इन स्वर्गों को शब्दों में उतार पा रहे हों--स्वर्ग नहीं है?

मूल्याकन नहीं किया जा सकता--इन स्वर्गों का.


मेरी कृति, "बिखरे हैं स्वर्ग चारों तरफ"  से चुनी गईं कुछ पंक्तियाँ.













Sunday, 5 September 2021

मन की बात




                                                         https://youtu.be/LIQQLjfKnOM