मन के - मनके
Wednesday, 13 June 2012
स्वप्न मेरे................: खत ...
स्वप्न मेरे................: खत
’पर कमबख्त तेरे ये खत
खत्म होने का नाम नहीं लेते’
कुछ यादें चलती हैं ,उम्र तलक, बहुत. सुंदर.
...
1 comment:
प्रवीण पाण्डेय
14 June 2012 at 05:14
नित लिखना, नित कहते रहना,
मन में रख कर नहीं है सहना।
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नित लिखना, नित कहते रहना,
ReplyDeleteमन में रख कर नहीं है सहना।