मन के - मनके
Friday, 31 October 2014
ओशो----एक कहानी यूं कहते हैं,
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एक सुबह अभी सूरज भी निकला नहीं था और एक मांझी नदी के किनारे पंहुच गया था.उसका पैर किसी चीज से टकरा गया.झुक कर देखा तो पत्थरों से भरा ए...
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Tuesday, 28 October 2014
स्मृतियों के अमलतास
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खैर,जिंदगी का हिसाब तो नहीं लगाया जा सकता ना ही ऐसी कोशिश करनी चाहिये. हां ,जिंदगी का ऐसा मोड भी आता है,जब पैर ठिठक जाते हैं---लगता ...
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Friday, 24 October 2014
ओशो मैं तुम्हें प्यार करने लगी हूं---
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कई बार प्रश्नों का सामना करना पडा---संभोग से समाधि के रास्ते?? जब-जब जिक्र आया कि मैं ओशो को प्यार करती हूं---बहुत ही अपना वक्तत...
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