मन के - मनके
Sunday, 17 November 2013
’ओशो’---- अछूते क्यों हैं/अछूत क्यों है?
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ऒशो--- एक ऐसी धारणा जो महासागर बनीं,असत्य की लहरों से टकरा कर, अंततः,महासागरों के पथरीले तटों पर,जीवन के फूलों को महका सकी. अब...
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Friday, 15 November 2013
हमारे अपने--- कहीं जाते नहीं हैं
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एक ’एड’,ध्यान से नहीं देखा,किस प्रोडक्ट का ऎड---अमिताभ बच्चन जी—एक पंक्ति कहते हैं- हमारे अपने हमसे दूर, कहीं नहीं जाते ह...
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