मन के - मनके
Saturday, 17 November 2012
रोज़गार---दुनियादारी का यूं ही चलता रहेगा (१७.११.२०१२)
›
रोज़गार---दुनियादारी का यूं ही चलता रहेगा (१७.११.२०१२) प्रिय संजीव, पिछले,करीब दो माह से,मेरी लेखनी व मेरे विचारों के मध्य तार...
2 comments:
Friday, 2 November 2012
आएं---- संसार को और खूबसूरत बनाएं
›
१. दयालुता—एक महक है,जो फैलेगी ही. आएं, इस महक को फैलने दें. २. जाने से पहले—संसार को बेहतर छोड कर जाना चाहते हैं--- तो दूस...
3 comments:
Monday, 22 October 2012
कुछ यूं ही-----
›
मैं, झंझावतों के---- पास से गुजरी, ...
5 comments:
Tuesday, 25 September 2012
मैं, मौन हूं----
›
क्योंकि, यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है जो, मुझसे कोई छीन नहीं सकता है— मुझसे मेरा घर छीना जा सकता है ...
3 comments:
Tuesday, 18 September 2012
मुझे अब पीडाओं के बोझ की दरकार नहीं है----
›
क्योंकि, मेरे वज़ूद की दीवारें--- अब कुछ, झुकने लगी हैं--- और, उनके कोने में रखे--- पुराने गुलदानों को,...
‹
›
Home
View web version