मन के - मनके
Sunday, 20 May 2012
कुछ नुक्ते--- जीवन के गलियारों में से
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१.सांझ की लहरों पर--- उम्मीदों की कंदीलें हैं जीवन की सुबह ढलकती कुछ,साथ उजाला चलता है, कंदीलों की परिछांई ...
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Monday, 7 May 2012
स्वप्न मेरे................: सजीव कविता ...
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बहुत सीधे-सादे रूप में जीवन का सार—बस ’इस पल का मोती मेरा है—ना भूत ना भविष्य,यही पल जीवन की सच्ची कवि...
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Sunday, 6 May 2012
जिंदगियां—यूं सिमटती हैं,एक रोज़
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जैसे,मेहराबों पर,लटके बंदनवार सिमट जाते हैं, बारात गुज़र जाने के बाद शहन...
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