मन के - मनके

Thursday, 26 April 2012

कुछ सुखद यादें—दैनिक समाचार पत्रों की

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कुछ दशक पूर्व तक ,समाचार पत्र,हर घर की जरूरत थी,जैसे कि,भोजन-पानी-नींद की जरूरत हर जीने वाले की जीव...
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Friday, 20 April 2012

मिलिअन डालर—Question Number-- 3

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वही,सज्जन,जो डालर की धरती पर,२० मकानों के मालिक हैं. अपने मुहल्ले के( जहां उनका जन्म हुआ, बचपन बीता,ज...
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Saturday, 14 April 2012

मिलिअन डालर—Question Number--2

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यह कोई किस्सा नहीं है,ना ही,किसी पर व्यंग,जीवन का एक कटु सत्य जो हमारे चारों ओर.केक्टस की तरह उग आएं ...
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Thursday, 12 April 2012

मिलियन डालर- Question

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विभिन्न देशों में,विभिन्न करेंसी का प्रचलन है—विनिमय के उद्द्येश्य से. हमारे देश में,आज़ादी के के कुछ ...
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मन के - मनके
मेरा परिचय तो,अभी अभी ही बना है-’मन के- मनके’के माध्यम से!फिर भी,औपचारिता निभाते हुए-इस ’परिचय’को श्ब्दों में गूंथने की कोशिश कर रही हूं!इंन्सान का’मन’ऎसी गीली मिट्टी की नाई होता है,जंहा’अनुभूतियों’के बीज गिरते रहते है,पल्लवित होने के लिए!इसके लिए’सम्भावनाओं’की बयार बहने की देरी है और’महक’उठती ही है-चारो ओर फैलेगी ही!यह कहना कठिन है-मेरी’अभिव्यक्तियां’किस महक को लेकर हवा मे फैल रही हैं!मै,जीवन को सबसे बडी और अहम पाठशाला मानती हुं सो उसमें मेरा प्रवेश जारी है!औपचारिक डिग्रियां कागजी आवराण में सिमट कर एक फाइल में रखी हुई हैं!ग्रहस्त जीवन की उपलब्धियां पूर्ण हैं कुह नाकामियों के साथ!मै,भाग्यशाली हूं -जब आखें मूंदती हूं तो’नानी जी’’आम्मा जी’के सम्बोधन,की स्वर-लहरी कानों को झंकारित कर देती है हर जीवन मे एक’खालीपन’होता ही है सो वह (खालीपन)रंग भी जीवन के कैनवास पर चढ़ चुका है!अब एक कोशिश मे जुट गई हूं-कुछ नये रंग खोज रही हूं जिन्हे उस कैनवास मे भर सकूं!ईश्वर को धन्यवाद देती हूं कि उसकी अनुकम्पा से मुझे यह अवसर मिला!अब,कुछ अनुभूतियों शेष हैं या यूं कहें कि अभी भी कुछ’अनुभूतियों’ मन की गीली मिट्टी पर फूट रही है- जो अभिव्यक्ती चाहती हैं साथ ही आप सभी की ओर दो शब्द- ’वाह-वाह’ के मन के - मनके (डा० उर्मिला सिंह)
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