नशे ,नशे में फर्क नहीं
फर्क है तो , असर नहीं
नशे,नशे में फर्क नहीं,फर्क है तो असर नहीं
नशा हो बोतल का या हो पीडाओं से जाम भरा
या ,आंसू की गर्माहट साँसों में आई उतर
या, काँधे ढलक गए ,अपनों की अनदेखी से .
या , अपनों ने हो छला पुनः पुनः
रख हाथ कंधों पर धोकों का
या , तिरिष्कार के तीर बिंधे
लहू शिराओं से रिस भर आया हो जामों में .
या, दरवाजे से विदा हुई अर्थी कोई अपने की
घर,खाली खाली हो ,भर आया हो जामों में .
यह तेरी मधुशाला है,यह मेरी मधुशाला है
कुछ ,कुछ कुछ ,कुछ भरा ,भरा .
हर कोई यहाँ पीता ह हर कोई यहाँ जीता है
कोई भर ,भर जाम झूमता ( सूफी सा)
कोई अधभारा जाम लिए राजा से रंक बना .
बस . एक गुजारिश नौसिखिये की
पी , पी , पी , बस जी भर पी कर जी .