tag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post8475686659392943982..comments2023-10-20T07:33:49.428-07:00Comments on मन के - मनके: आश्चर्य------मन के - मनकेhttp://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-84397488551731504792014-01-16T19:48:48.119-08:002014-01-16T19:48:48.119-08:00हमने ही सुख की त्रुटिपूर्ण परिभाषायें गढ़ ली हैं।हमने ही सुख की त्रुटिपूर्ण परिभाषायें गढ़ ली हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-3653907935563313852014-01-16T04:00:51.833-08:002014-01-16T04:00:51.833-08:00सामन हो तो भी ख़ुशी नहीं न हो तो भी ... अपने मन की ...सामन हो तो भी ख़ुशी नहीं न हो तो भी ... अपने मन की चंगुल में फंसे रहते हैं हम .. खुशियाँ होती हैं पास पर देख नहीं पाते ... सोचने में समय खराब करते हैं भोगने का आनंद नहीं लेते ... प्रवाह में बहते जाना नहीं चाहते कारण खोजने लगते हैं ... <br />जिज्ञासा हर चीज़ में होनी शायद ख़ुशी को दूर कर देती है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com