tag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post8310386849016789564..comments2023-10-20T07:33:49.428-07:00Comments on मन के - मनके: ओशो---मैं तुम्हें प्यार करने लगी हूं.मन के - मनकेhttp://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-19364118537894020962013-12-22T23:54:04.926-08:002013-12-22T23:54:04.926-08:00ईश्वर के प्रमाण बंद आँखों से महसूस करने होते हैं ....ईश्वर के प्रमाण बंद आँखों से महसूस करने होते हैं ... ओशो का लिखा भी एक ऐसी ही ऊर्जा है जो कही तो पत्र के माध्यम से है पर महसूस धब्दों के माध्यम से हो ती है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-39187966460435896772013-12-22T04:02:22.649-08:002013-12-22T04:02:22.649-08:00अद्भुत पत्र..अद्भुत पत्र..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-79306597027252939542013-12-21T22:14:43.301-08:002013-12-21T22:14:43.301-08:00यही है ईश्वर के होने की प्रमाणिकता किसी भी रूप में...यही है ईश्वर के होने की प्रमाणिकता किसी भी रूप में पहुँचे किसी भी माध्यम से मगर वो देखता भी है सुनता भी है और मार्ग प्रशस्त भी करता है फिर चाहे माध्यम कोई सा भी क्यों ना हो ।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-68389365290025092062013-12-21T15:44:59.228-08:002013-12-21T15:44:59.228-08:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (22-12-13) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/2013/12/charcha1469.html" rel="nofollow"> वो तुम ही थे....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1469 में "मयंक का कोना" </a> पर भी है!<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-86421918416810578262013-12-21T10:56:22.969-08:002013-12-21T10:56:22.969-08:00नदी अपना रास्ता खुद ढूंढ लेती है...सागर तक पहुंचने...नदी अपना रास्ता खुद ढूंढ लेती है...सागर तक पहुंचने के लिए...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.com